पहाड़ के बेमिसाल दादा जी..2 पौधों से उगा दी 3 क्विंंटल कीवी, बाजार में 1 कीवी की कीमत 30 रुपये
सिर्फ 2 पौधों से हर मौसम में 3 से 4 क्विंटल कीवी की फसल उगा कर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रहे हैं अल्मोड़ा जिले के 72 वर्षीय वृद्ध किसान मोहन सिंह लटवाल। जानिए उनकी सक्सेस स्टोरी
Dec 19 2020 9:29PM, Writer:Komal Negi
यह सच है कि मन में कुछ करने की ठान ली जाए तो रास्ते में भले ही कितनी भी अड़चनें क्यों न आएं हम कामयाबी पाकर ही रहते हैं। अब उत्तराखंड में ही देख लीजिए। कोरोना काल में कितने ही उदाहरण सामने आए हैं जिन्होंने आत्मनिर्भरता की ठोस मिसाल पेश की है। उत्तराखंड में लोग तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। यह देखना सुखद है कि राज्य में खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं उत्तराखंड में काफी अधिक बढ़ गई हैं। लोग तेजी से खेती-बाड़ी से जुड़ रहे हैं और अलग-अलग प्रकार की फसलों को उगा रहे हैं। उत्तराखंड में अब विदेशी फलों को उगाने का भी लोगों द्वारा प्रयास किया जा रहा है। आज हम आपको उत्तराखंड के ऐसे ही वृद्ध किसान से मिलवाने वाले हैं जिन्होंने कीवी की खेती में महारत हासिल की है और अब वे कीवी की खेती के जरिए आत्मनिर्भर बन चुके हैं। उन्होंने सिर्फ 2 पौधों से हर मौसम में 3 से 4 क्विंटल कीवी की फसल उगा कर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है।
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हम बात कर रहे हैं अल्मोड़ा जिले के मोहन सिंह लटवाल की जिन्होंने विदेशी फल कीवी की उपज करनी शुरू की और इसमें उन्होंने सफलता हासिल कर समाज के आगे आत्मनिर्भरता की ठोस मिसाल पेश की है। अल्मोड़ा के हवालबाग स्थित स्याहिदेवी के रहने वाले मोहन सिंह लटवाल की उम्र 72 वर्ष है और उन्होंने कई वर्षों पहले कीवी की खेती शौकिया तौर पर करना शुरू किया था। मगर अब उन्होंने कीवी की खेती को रोजगार का माध्यम बना लिया है और उससे अच्छी खासी आय कमा रहे हैं। उनका गांव समुद्र तल से लगभग 7000 की ऊंचाई पर स्थित है। जब मोहन सिंह ने वैज्ञानिकों से अपने गांव में कीवी की खेती करने की बात की तो वैज्ञानिकों ने उनको कहा कि कीवी की देखभाल करना बहुत ही मुश्किल काम है और जिस ऊंचाई पर उनका गांव स्थित है वहां पर कीवी की खेती करना अनुकूल नहीं है। मगर फिर भी अपनी जिद पर अड़े रहे और वैज्ञानिकों ने उनको कीवी के केवल 2 पौधे दिए। उन्होंने कीवी के दो पौधों से ही स्वरोजगार के द्वार खोल दिए। मोहन सिंह लटवाल ने कीवी की बेल के लिए 2 नाली जमीन को तैयार किया और कीवी के दोनों पौधों से वर्ष 2010 में पहली बार खूब सारे फल लगे और कुल 2 क्विंटल का पैदावार हुआ।
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उनकी किस्मत तब खुली जब स्याहिदेवी के टूरिस्ट स्पॉट में दिल्ली का दल आया और उन्होंने मोहन सिंह के कीवी के खेत को पहली बार देखा। जिसके बाद उन्होंने पहली बार 250 रुपये प्रति किलो के भाव से कीवी खरीदे और अपने साथ ले गए। अपनी मेहनत को सफल होता देख मोहन सिंह हटवाल का कॉन्फिडेंस बूस्ट हुआ और उन्होंने कीवी को रोजगार के रूप में स्थापित करने की ठानी। बस फिर क्या था वे और अधिक मेहनत करने लगे। अब उनके पौधे पहले से भी अधिक परिपक्व हो गए हैं और उनका मनोबल भी काफी बढ़ा है। इसी सर्दी में 3 क्विंटल कीवी का उत्पादन हुआ है। यूं तो विशेषज्ञों का कहना है कि कीवी के उत्पादन के लिए 900 से 1800 की ऊंचाई ही अनुकूल होती है। उससे ऊंचाई पर कीवी को उगाना रिस्की है। मगर मोहन सिंह लटवाल ने इस दावे को गलत साबित किया है। वे 7000 फीट की ऊंचाई पर रहते हैं मगर इसके बावजूद भी उन्होंने कीवी की शानदार उपज की है उन्होंने अपनी मेहनत और कड़े हौसलो से पौधों की सही देखभाल की है। जहां आजकल के नौजवान अब भी खेती करने को रोजगार का जरिया नहीं मानते हैं या उनको खेती करने में शर्म आती है वहीं मोहन सिंह बिना सरकारी मदद और विभागीय सहयोग अपनी काबिलियत और के दम पर खेतों में नये प्रयोग कर रहे हैं जो कि प्रशंसनीय है।