उत्तराखंड में कड़ाके की ठंड..जम गया तालाब का पानी, 2 हजार मछलियों की मौत
तालाब में पल रही मछलियां मत्स्य पालकों को बांटी जानी थीं। मछलियों की देखभाल के पूरे इंतजाम किए गए थे, लेकिन कड़ाके की ठंड ने इन मछलियों की जान ले ली।
Dec 26 2020 4:46PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड समेत समूचा उत्तर भारत कड़ाके की ठंड से जूझ रहा है। फुटपाथ पर ठिठुरते इंसानों के साथ-साथ जलीय जीवों की भी जान पर बन आई है। चंपावत में गिरता पारा तालाब में रहने वाली मछलियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। यहां नरियाल गांव में लगातार गिरते पाले की वजह से दो तालाबों का पानी पूरी तरह जम गया। जिस वजह से दो हजार से ज्यादा छोटी मछलियां मर गईं। नरियाल गांव में स्थित ये दोनों तालाब मछली पालन प्रोत्साहन योजना के तहत बनाए गए थे। ये मछलियां मत्स्य पालकों को बांटी जानी थीं। मछलियों की देखभाल के पूरे इंतजाम किए गए थे, लेकिन कड़ाके की ठंड ने इन मछलियों की जान ले ली। पारा गिरते ही तालाब का पानी जम गया, जिस वजह से मछलियां मर गईं। पहाड़ी क्षेत्रों में इन दिनों रात के वक्त खूब पाला गिर रहा है। सड़कों पर पाले की परत बर्फ की तरह दिखाई दे रही है।
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पाले की वजह से ठिठुरन बढ़ गई है, इसके अलावा पाला मछलियों की मौत की वजह भी बन रहा है। नरियाल गांव स्थित मत्स्य प्रजनन केंद्र में भी यही हुआ। यहां मत्स्य पालन के लिए दो तालाब बने हैं। रात के वक्त पाला गिरने से तालाब का पानी जम गया। जिससे तालाब में पल रहीं करीब दो हजार मछलियां मर गईं। मछलियों की मौत से विभाग के साथ-साथ मत्स्य पालकों का भी बड़ा नुकसान हो गया। जिला मत्स्य पालन प्रभारी संजीव कुमार ने बताया कि इस केंद्र के चार तालाबों में करीब 30 हजार छोटी मछलियां डाली गई थीं। गुरुवार को चार में से दो तालाबों का पानी पाले की वजह से पूरी तरह जम गया। जिस वजह तालाब में रहने वाली दो हजार से ज्यादा छोटी मछलियां मर गईं। इन्हें मत्स्य पालकों को वितरित किया जाना था।