उत्तराखंड: सब समस्याओं का एक हल- एल्कोहल, एल्कोहल..पढ़िए इन्द्रेश मैखुरी का ब्लॉग
भाई आखिर जिस सेनीटाइजर से बार-बार हाथ धोने को कहा जा रहा है, उसका प्रमुख तत्व क्या है-एल्कोहल..पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार व एक्टिविस्ट इन्द्रेश मैखुरी का ब्लॉग
Jun 7 2021 4:13PM, Writer:इन्द्रेश मैखुरी
त भै-बैणों, लोग ने कहा-सरकार कोरोना कर्फ़्यू के कारण खाणे-पीणे में भौत दिक्कत आ रही है ! उत्तराखंड सरकार ने कोरोना कर्फ़्यू 15 जून तक आगे बढ़ा दिया. इसमें इंतजाम है कि राशन-किराने की दुकान दो दिन-09 जून और 14 जून को खुलेगी. कपड़ा,रेडिमेड,चश्मा, दर्जी आदि की दुकान,एक दिन यानि 11 जून को खुलेगी. फोटोकॉपी और टिंबर की दुकान एक दिन यानि 09 जून को खुलेगी. और शराब की दुकान, तीन दिन यानि 09 जून,11 जून और 14 जून को खुलेंगी.
यानि सरकार का संदेश साफ है, खाणे-पीणे में से पीणे पर ज़ोर रखो. पीणे पर ज़ोर रखोगे तो खाणे की जरूरत वैसे भी ज्यादा नहीं पड़ेगी. वैसे दवा की दुकाने तो हर दिन खुली है पर तीन दिन दारू की दुकान खोल कर दवा की दुकान और अस्पताल पर भी सरकार ने बोझ कम कर दिया. आदमी पी कर टन रहेगा तो कोरोना क्या कोरोना का बाप भी उसके करीब नहीं फटकेगा ! भाई आखिर जिस सेनीटाइजर से बार-बार हाथ धोने को कहा जा रहा है, उसका प्रमुख तत्व क्या है-एल्कोहल. सरकार बेचारी गांव-गांव सेनिटाइजेशन तो नहीं करा सकती, पर आदमी अंदर से पूरी तरह सेनीटाइज हो जाये,इसके लिए सेनीटाइजर का प्रमुख तत्व- एल्कोहल- तो सर्वसुलभ करा ही सकती है.
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड में खतरनाक हो रहा है ब्लैक फंगस, अब तक 47 मरीजों की मौत..सावधान रहें
और सरकार का बंदोबस्त तो देखिये. आदमी राशन लेने आए,कपड़ा खरीदने आए, चश्मा बनवाने या फोटोकॉपी और लकड़ी की दुकान के लिए घर से निकले,उससे होने वाले तनाव और थकान को दूर करने के लिए वह शराब की दुकान खुली पाये. 14 जून को भी दुकान खुली रखी है ताकि यदि उसके बाद वाले हफ्ते में भी कर्फ़्यू बढ़ाने की नौबत आए तो आदमी अगले हफ्ते का इंतजाम करके रख ले ! क्या दूरदर्शिता है, वाह सरकार, वाह !
दुकानदार थाली बजा रहे थे कि दुकानें खोलो. शराब के दुकानदार तो उनके साथ कहीं दिखे नहीं. पर लगता है वे इन दुकानदारों से अलग कहीं घंटे-घड़ियाल बजा रहे होंगे,जिनकी आवाज़ सरकार के कानों में ज्यादा सुनाई दी और सरकार ने शराब की दुकान, कोविड कर्फ़्यू के हफ्ते में तीन दिन खोल दी !
हो यूं भी रहा है कि मुख्यमंत्री का गिच्चा बार-बार रबड़ा(रिबड़ा-हिन्दी में रपटना) जा रहा है तो बड़ा मज़ाक हो रहा है. अब आदमी हफ्ते में तीन दिन दारू की दुकान पर जाएगा तो वह तो पूरा ही रबड़ाता रहेगा तो मुख्यमंत्री ने क्या बोला और क्या नहीं बोला,इस पर उसका ध्यान ही नहीं जाएगा ! देखा एक तीर से कितने निशाने लगाए !