image: Harak Singh Rawat wants to join Congress

उत्तराखंड: हाथ धोकर कांग्रेस के पीछे पड़े हैं हरक, उधर हरदा-गोदियाल बीच ठन गई रार!

3 दिन से कांग्रेस का गेट खटखटा रहे हैं हरक, 2017 हरदा की सरकार गिराने के बाद से ही नाराज हैं हरदा समेत कांग्रेस के कई नेता, हाईकमान लेगा अंतिम फैसला-
Jan 18 2022 7:34PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

हरक सिंह रावत को भारतीय जनता पार्टी से निष्कासित करने के बाद हरक न इधर के रहे न उधर के। बीच में लटके हुए हरक अब दुविधा में हैं, उदास हैं। कल तो वे फफक-फफक कर रो भी पड़े। बीजेपी से बाहर का रास्ता दिखाने के बाद हरक सिंह रावत ने दिल्ली जाकर कांग्रेस का दरवाजा खटखटाया है। मगर अभी तक कांग्रेस में उनको पार्टी में एंट्री नहीं दी है। 2016 में कांग्रेस से दगा करने के बाद हरक सिंह रावत भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। इस बात से हरीश रावत समेत कांग्रेस के कई बड़े नेता नाराज चल रहे हैं। इसी कारण 3 दिन हो गए और हरक सिंह रावत कांग्रेस का दरवाजा खटखटा रहे हैं मगर कांग्रेस ने उनको अब तक अंदर नहीं लिया है। उनको दिल्ली गए हुए आज तीसरा दिन है। सियासी गलियारों में चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस में जॉइनिंग को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस के शीर्ष नेता जिनमें हरीश रावत भी शामिल हैं उनके बीच में भारी मतभेद है। 2016 में हरक सिंह रावत ही वह मुख्य कारण थे जिस वजह से हरीश रावत की सरकार गिरी थी। हरक सिंह रावत ने 2016 में कांग्रेस को धोखा देकर और दबाव बनाकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था और कांग्रेस पार्टी के हाथ से सत्ता छिन गई थी। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उनकी घर वापसी के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि हरक सिंह रावत पहले इस पूरे मामले पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगे। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम और गणेश गोदियाल इस मामले में नरम हैं और वे हरक सिंह रावत को वापस पार्टी में सम्मिलित करने के फेवर में हैं। कुल मिलाकर अब यह गेंद कांग्रेस हाईकमान के पाले में है। हाईकमान कांग्रेस की शरण में खड़े हुए हरक सिंह रावत को क्या कांग्रेस पार्टी में जगह देगी या नहीं देगी इसका अंतिम फैसला हाईकमान को ही करना है।

हरक सिंह रावत उत्तराखंड राजनीति का एक मजबूत चेहरा हैं। पिछले 30 साल से वे उत्तराखंड की राजनीति का प्रमुख चेहरा रहे हैं। वह 1991 में कल्याण सिंह सरकार में सबसे कम उम्र में मंत्री बने थे। पिछले 30 साल में पौढ़ी, लैंसडाउन, कोटद्वार, रूद्र प्रयाग सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। रावत उत्तराखंड में मौसम विज्ञानी की छवि रखते हैं। वह 1996 में भाजपा को छोड़कर बसपा में शामिल हो गए थे। उसके बाद 1998 में उन्हें कांग्रेस से हाथ मिला लिया। लेकिन 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत समेत कांग्रेस के नौ विधायकों ने विधानसभा सत्र के दौरान पार्टी से विद्रोह कर मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार गिराने की कोशिश की थी और ये सभी विधायक भाजपा में शामिल हो गए। 2016 में हरीश रावत को सबसे बड़ा झटका विजय बहुगुणा के साथ हरक सिंह रावत ने ही दिया था। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से उनकी सरकार तो बच गई थी। लेकिन बाद में 2017 के चुनावों में कांग्रेस को बुरी हार को सामना करना पड़ा था। उन चुनावों में कांग्रेस को केवल 11 सीटें मिली थीं। ऐसे में अब अगर रावत कांग्रेस में शामिल होते हैं, तो हरीश रावत के रूख से ये तो साफ है कि हरक सिंह की राह आसान नहीं होने वाली है। उन्हें कई समझौते करने पड़ सकते हैं।


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