Uttarakhand Char Dham Yatra: 1 दिन में 16 श्रद्धालुओं की मौत, अब तक 91 लोगों की गई जान
Uttarakhand Char Dham Yatra शुरू होने से अब तक 23 दिन की अवधि में 91 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। ये आंकड़ा चिंता बढ़ाने वाला है।
May 27 2022 3:41PM, Writer:कोमल नेगी
Uttarakhand Char Dham Yatra सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक है। यात्रा के दौरान अगर स्वास्थ्य को लेकर सावधानी न बरती जाए तो जान भी जा सकती है।
Uttarakhand Char Dham Yatra 2022 Death Toll
यात्रा शुरू होने से अब तक 23 दिन की अवधि में 91 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। ये आंकड़ा चिंता बढ़ाने वाला है। केंद्र सरकार भी इसे लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुकी है। गुरुवार को भी चारधाम यात्रा पर आए सोलह यात्रियों की मौत हो गई। 13 यात्रियों की मौत हार्ट अटैक जबकि तीन की मौत देर रात हुए हादसे में हुई। सबसे पहले केदारनाथ धाम की बात करते हैं। यहां गुरुवार को नंदू (65), हरिद्वार तिवारी (62), आरएन त्रिपाठी (65) और हेमराज सोनी (61) का निधन हो गया। ये यात्री बिहार, यूपी और राजस्थान के रहने वाले थे। इसी तरह यमुनोत्री में गुरुवार को हृदयगति रुकने से चार यात्रियों की मौत हुई। मृतकों में सिद्धेराजन (57) निवासी तमिलनाडु, दिलीप पंराजपे (75) निवासी महाराष्ट्र, राम चंद्र साहू (67) निवासी उत्तर प्रदेश व लालचंद राठी (56) निवासी राजस्थान शामिल हैं। यहां डाबरकोट के पास देर रात हुए वाहन हादसे में भी महाराष्ट्र के तीन यात्रियों की मौत हुई है। दस यात्री घायल हैं। आगे पढ़िए
बदरीनाथ धाम में जीवी विजय कुमार (62), निवासी कर्नाटक व कमला बाई (62) निवासी राजस्थान समेत एक अन्य की मौत हुई। इसी तरह गंगोत्री में हैदराबाद निवासी पी. अशोक बाबू और चन्द्रभान राठौर निवासी आगरा ने हार्ट अटैक के चलते अंतिम सांस ली। डीजी हेल्थ डॉ. शैलजा भट्ट ने कहा कि 13 में से 11 यात्रियों की जान होटल और पैदल मार्ग पर गई। चारधाम में स्वास्थ्य सेवाओं को पहले के मुकाबले मजबूत किया गया है और कुल 169 डॉक्टरों को यात्रा में तैनात किया गया है। यात्रियों को कुछ सुझाव भी दिए गए हैं। यात्री केदारनाथ और यमुनोत्री की यात्रा पूरी तरह फिट होने पर ही करें। Uttarakhand Char Dham Yatra में मौसम लगातार खराब है। ऐेसे में यात्री पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े लेकर जाएं। ऑक्सीजन लेवल 85 से नीचे आने पर दिक्कत महसूस होने लगती है, ऐसा होने पर स्वास्थ्य शिविरों और अस्पतालों से ऑक्सीजन ले लें। श्रद्धालु यात्रा मार्ग पर खुले स्वास्थ्य शिविरों में जांच कराते हुए रुक-रुककर यात्रा करें, ताकि उन्हें आराम मिले और सांस न फूले।