उत्तराखंड का वीर सपूत: 38 साल बाद सियाचीन में मिला पार्थिव शरीर, अब होगा अंतिम संस्कार
कई दशक बाद ही सही, परिजनों का इंतजार खत्म हुआ और अब वो Uttarakhand martyr Chandrashekhar Herbola को अंतिम विदाई दे सकेंगे।
Aug 15 2022 2:10PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड के एक शहीद से जुड़ी ऐसी खबर सामने आई, जिसने हर किसी को भावुक कर दिया।
Uttarakhand martyr Chandrashekhar Herbola story
38 साल पहले सियाचीन Siachen में शहीद हुए लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर मिल गया है। कई दशक बाद ही सही, परिजनों का इंतजार खत्म हुआ और वो अब शहीद चंद्रशेखर हर्बोला को अंतिम विदाई दे सकेंगे। उत्तराखंड के रहने वाले लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला 19वीं कुमाऊं रेजीमेंट का हिस्सा थे। उनके शव की पहचान के लिए हाथ में बंधे ब्रेसलेट का सहारा लिया गया। जिसमें उनका बैच नंबर और अन्य जरूरी जानकारी दर्ज थीं। ये घटना मई 1984 की है। भारत-पाकिस्तान की झड़प के दौरान में पेट्रोलिंग के लिए 20 सैनिकों की टुकड़ी भेजी गई थी। इस टुकड़ी में लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला भी शामिल थे। इस दौरान ग्लेशियर टूटने की वजह से टुकड़ी के सभी सैनिक शहीद हो गए थे। सर्च ऑपरेशन में 15 सैनिकों के शव मिल गए थे लेकिन पांच सैनिकों का पता नहीं चल सका था।
अब लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर 38 साल बाद सियाचिन में मिला है। इसकी सूचना सेना की ओर से उनके परिजनों को दी गई है। बताया जा रहा है कि सोमवार को उनका पार्थिव शरीर हल्द्वानी लाया जाएगा। इसके बाद सैनिक सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया जाएगा। मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर हर्बोला 19 कुमाऊं रेजीमेंट में लांसनायक थे। वह 1975 में सेना में भर्ती हुए थे। Uttarakhand martyr Chandrashekhar Herbola की पत्नी वीरांगना शांति देवी इस समय हल्द्वानी में धान मिल के पास सरस्वती विहार कॉलोनी में रहती हैं। बता दें कि सियाचिन दुनिया के दुर्गम सैन्य स्थलों में से एक है। Siachen बहुत ऊंचाई पर स्थित है, जहां जीवित रहना एक सामान्य मनुष्य के बस की बात नहीं है। भारत के सैनिक आज भी वहां पर अपनी ड्यूटी निभाते हैं