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वो दिन नहीं भूलेगा उत्तराखंड: जब रातों-रात विलेन बन गए मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह यादव Mulayam Singh Yadav कभी भी पृथक उत्तराखंड नहीं चाहते थे। उनके ही कार्यकाल में रामपुर तिराहा कांड हुआ था। पढ़िए पूरी कहानी
Oct 10 2022 1:11PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

देश की राजनीति से एक बड़ी खबर है। समाजवादी पार्टी के मुखिया और कद्दावर नेता कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव Mulayam Singh Yadav दुनिया से रुखसत हो गए। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली। उत्तराखंड के सीएम धामी समेत अन्य मंत्रियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

Mulayam Singh Yadav Uttarakhand andolan

मुलायम सिंह यादव की जिंदगी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें हैं, जिन्हें उत्तराखंड के लोग कभी नहीं भूल सकेंगे। 1 अक्टूबर 1994 की वो रात..पुलिस का वो दमनात्मक चेहरा, वो लाठीचार्ज, वो फायरिंग..यू समझिए कि बर्बरता की हदें पार हो गई थी। मुलायम सिंह यादव ने उस दौरान पहाड़ और पहाड़वासियों के लिए कहा कि ‘पहाड़ ने मुझे वोट नहीं दिया’। ये शब्द बड़े तीखे थे। राज्य आंदोलन की आग तेज हुई और मुलायम के ये कठोर शब्द उन्हें खलनायक बना गए। वो कभी भी पृथक उत्तराखंड राज्य बनाने के पक्ष में नहीं रहे। अपने उत्तराखंड की मांग को लेकर पहाड़वासी सड़कों पर थे। देखते देखते इस आंदोलन ने बड़े जनांदोलन का रूप ले लिया। उसी दौरान हुआ था सबसे घृणित रामपुर तिराहा कांड। आगे पढ़िए

Rampur Tiraha kand story

उस रात को आंदोलनकारी आज तक नहीं भूले। किसी को आभास नहीं था कि कुछ ही देर बाद उनका सामना एक भयावह मंजर से होने वाला है। जैसे ही उत्तराखंड राज्य को चाहने वाले आंदोलनकारी रामपुर तिराहा पहुंचे तो दनादन बरसती गोलियों से पूरा इलाका गूंज गया। मौके पर लोगों की लाशें गिरी, खून से सने हुए शरीर और आंदोलनकारियों की बेबसी इस पूरी कहानी को बयां कर रही थी। गढ़वाल और कुमाऊं से बसों में भरकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए रवाना हुए, तो मुलायम सिंह यादव की सरकार ने ठान लिया कि आंदोलनकारियों को आगे नहीं जाने देना है। जब लोग रामपुर तिराहा पहुंचे तो उनका सामना पुलिस से हुआ। यहां पर सत्ता का सबसे दमनात्मक चेहरा सामने आया था। पुलिस की फायरिंग हो रही थी, बेबस आंदोलनकारियों पर कहर बरपाया जा रहा था, यहां तक कि बलात्कार जैसी घटनाए भी सामने आई। वो रात काली हो गई थी। यही वो रामपुर तिराहा कांड है जिसने सत्ता को पलट कर रख दिया। कठोर दिल के मुलायम (Mulayam Singh Yadav) उत्तराखंड के लिए रात और रात खलनायक बन गए। इसके बाद समाजवादी पार्टी कभी भी पहाड़ में पैर नहीं जमा पाई। खटीमा और मसूरी के बाद रामपुर तिराहे का नाम भी उत्तराखंड आंदोलन में जुड़ गया। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड का गठन हुआ लेकिन राज्य आंदोलन का जख्म आज तक नहीं भरा।


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