उत्तराखंड में 13 ग्लेशियर झीलों से मिले खतरे के संकेत, सरकार ने निगरानी बढ़ाई
वैज्ञानिक संस्थानों ने चेताया है कि इन झीलों का फैलाव तेजी से बढ़ रहा है, जो भविष्य में केदारनाथ आपदा जैसे बड़े नुकसान का सबब बन सकता है।
Feb 13 2024 5:34PM, Writer:कोमल नेगी
केदारनाथ त्रासदी को भला कौन भूल सकता है। यहां एक ग्लेशियर झील फटने के बाद आपदा के सैलाब ने हजारों जिंदगियां लील ली थीं।
13 glacier lakes of uttarakhand are in danger
अब उत्तराखंड के अलग-अलग क्षेत्रों से ऐसे ही खतरे के संकेत मिल रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तराखंड की 13 ग्लेशियर झीलें खतरे की जद में हैं। विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों ने इन 13 ग्लेशियर झीलों की समीक्षा की। वैज्ञानिक संस्थानों ने चेताया है कि इन झीलों का फैलाव तेजी से बढ़ रहा है, जो भविष्य में केदारनाथ आपदा जैसे बड़े नुकसान का सबब बन सकता है। रिपोर्ट सामने आने के बाद सरकार ने निगरानी तेज कर दी है। इसके लिए एक विशेषज्ञ टीम का गठन किया गया है, जिसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजकर जोखिम से बचाव का मार्गदर्शन लिया जाएगा। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों के साथ इन 13 ग्लेशियर झीलों की समीक्षा की।
वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने बताया कि गंगोत्री ग्लेशियर की निगरानी की जा रही है। गंगोत्री ग्लेशियर के साथ बहुत सी झीलें हैं, जो अत्यधिक जोखिम में आ रही हैं। बसुधारा ताल में भी जोखिम लगातार बढ़ रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वैज्ञानिकों ने बताया कि भागीरथी, मंदाकिनी, अलकनंदा नदियों के निकट ग्लेशियर झीलों की निगरानी की जा रही है। जिसमें पाया गया कि केदारताल, भिलंगना व गौरीगंगा ग्लेशियर का क्षेत्र निरंतर बढ़ता जा रहा है, जो कि आने वाले समय में आपदा के जोखिम के प्रति संवेदनशील है। प्रदेश सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है। इस संबंध में शासन की ओर से केंद्र से मार्गदर्शन प्राप्त किया जाएगा कि ग्लेशियर झीलों से पैदा होने वाली आपदाओं का प्रभावी नियंत्रण कैसे हो। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने निर्णय लिया कि ग्लेशियरों की निगरानी के लिए एक बहुक्षेत्रीय विशेषज्ञ टीम गठित की जाएगी। जिसमें उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण नोडल विभाग के रूप में काम करेगा। यह ग्लेशियर झीलों का अध्ययन करेगी और इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी।