उत्तराखंड में प्रिंट रेट से महंगी मिल रही है शराब, इस पर कैसे लगेगी लगाम
प्रदेश में शराब की दुकानों पर जमकर ओवर रेटिंग हो रही है। इस पर लगाम लगाने के लिए अक्सर कार्रवाई तो की जाती है, लेकिन पूरी तरह अंकुश लगाना मुश्किल होता दिख रहा है। सेल्समैन और ठेकेदार जुगलबंदी करके जनता का पैसा डकार रहे हैं।
Apr 11 2024 4:49PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
आबकारी विभाग ने शराब की ओवर रेटिंग पर नियम तो बनाए हैं लेकिन इनके आधार कार्रवाही नहीं की जाती। नियम इतने सख्त हैं की चौथी बार पकड़े जाने पर लाइसेंस निरस्त करने तक का प्रावधान है। फिर भी धड़ल्ले से शराब माफिया मनचाहे दाम वसूल रहे हैं।
No oversight on overrating of liquor in Uttarakhand
शराब की ओवर रेटिंग रोकने के लिए प्रशासन द्वारा लगातार अभियान चलाया जाता है लेकिन दुकान संचालक शराब की ओवर रेटिंग करने से बाज नहीं आ रहे हैं। उत्तराखंड में शराब मूल्य से अधिक बेचना अब सामान्य बात हो गई है, पहले ऐसा बिलकुल भी नहीं होता था। मिली जानकारी के मुताबिक जब से शराब के ठेकेदार और सेल्समैन के बीच साझेदारी की शुरू हुई है, तब से शराब बेचने वाले सेल्समैन अब अपने मार्जिन को बचाने के लिए ओवर रेटिंग का सहारा लेते हैं। यह चलन अब नियमित हो गया है और जब तक यह साझेदारी बनी रहेगी तब तक शराब की ओवर रेटिंग को रोकना मुश्किल होगा।
एमआरपी से 10-20 रुपए अतिरिक्त लेना सामान्य बात
उत्तराखंड सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व जीएसटी डिपार्टमेंट से आता है, उसके बाद दूसरे नंबर पर आबकारी विभाग से आता है। ऐसे में देखा जाय तो आबकारी विभाग सरकार की झोली भरने में कोई कसर नहीं छोड़ता। लेकिन इसकी आड़ में पीछे न जाने कौन-कौन से कारनामे होते हैं? प्रदेश में हाल ही के वर्षों में शराब की ओवर रेटिंग बेतहाशा बढ़ी है। अब शराब की हर एक दुकान पर एमआरपी से ₹10 या ₹20 अतिरिक्त लेना सामान्य बात हो चुकी है। शराब की एमआरपी पर 10 रुपए एक्स्ट्रा देना अब ग्राहक की आदत बन चुकी है। क्योंकि विरोध करने पर कुछ खास हासिल ही नहीं होता है।
पार्टनरशिप से जनता का नुकसान
बताया जाता है कि शराब की यह ओवर रेटिंग उस समय से शुरू हुई है, जब से शराब बेचने वाले सेल्समैन और लाइसेंसी धारक के बीच साझेदारी प्रणाली अर्थात पार्टनरशिप शुरू हुई। वास्तव में इसमें सेल्समैन को लाइसेंस धारी तनख्वाह पर नहीं, बल्कि पार्टनरशिप में रखता है। फिर सेल्समैन इस ओवर रेटिंग के जरिए अपना मुनाफा निकालता है। यदि शराब व्यापारी नियमों के विरुद्ध जाकर शराब को एमआरपी से अधिक मूल्य में बेचता है, तो उसके खिलाफ विभाग द्वारा कार्रवाई का प्रावधान है, हालांकि यह कार्रवाई अक्सर विफल होती है।
शराब की ओवर रेटिंग गैरकानूनी अपराध
अपर आबकारी आयुक्त हरीश चंद्र सेमवाल बताते हैं कि पूरे प्रदेश में शराब व्यापार को नियामक करने के लिए जिला आबकारी अधिकारियों और विभाग के अलग-अलग सर्कलों में आबकारी निरीक्षकों की तैनाती होती है। इसके अलावा इंफोर्समेंट के लिए अधिकारियों की तैनाती भी विभाग द्वारा अलग से की जाती है। विभाग ने ओवर रेटिंग को लेकर एक नियम बनाया है, जिसके अनुसार हर सर्कल के आबकारी निरीक्षक को अपने क्षेत्र में 10 किलोमीटर तक के दायरे की सभी शराब की दुकानों पर महीने में दो बार और 10 किलोमीटर के दायरे से बाहर की दुकानों पर महीने में एक बार निरीक्षण करना होगा। इस निरीक्षण के लिए सही तरीके की गाइडलाइंस भी जारी की गई हैं, जिसमें सुनिश्चित किया जाता है कि चेकिंग सही तरीके से हो रही है और यदि किसी दुकान में ओवर रेटिंग की जा रही है तो उसे पकड़ कर कार्रवाई की जाए।
ओवर रेटिंग पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान
आबकारी विभाग ने शराब की ओवर रेटिंग को लेकर कठिन नियम बनाए हैं। यदि इन नियमों का उल्लंघन होता है, तो ओवर रेटिंग को पकड़ना काफी मुश्किल हो जाता है। यदि पहली बार ओवर रेटिंग को निरीक्षण में पकड़ा जाता है, तो उस पर 50 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा, जिसे शराब व्यापारी को भुगतना होगा। इसके बाद भी, यदि वही शराब व्यापारी फिर से ओवर रेटिंग में पकड़ा जाता है, तो उस पर 75 हजार का जुर्माना होगा।
तीसरी बार में 1 लाख के जुर्माने के बावजूद, अगर शराब व्यापारी फिर भी ओवर रेटिंग करता है और चौथी बार पकड़ा जाता है, तो उसका लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान है। इतने कठोर नियमों के बावजूद भी शराब की ओवर रेटिंग की घटनाएँ लगातार हो रही हैं। आखिकार इन सख्त नियमों का धरातल पर क्यों असर नहीं हो रहा है यह एक महत्वपूर्ण सवाल है।