Uttarakhand: केदारनाथ धाम के वेदपाठी मृत्युंजय हीरेमठ का निधन, 35 वर्ष की आयु में स्वर्ग सिधारे
केदारघाटी से बेहद दुःखद खबर है। केदारनाथ धाम के वेदपाठी मृत्युंजय हीरेमठ का 35 की उम्र में उनके निवास ऊखीमठ में निधन हो गया है।
Apr 20 2024 12:27PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
केदारनाथ धाम में भी वो मंत्र हमेशा गूंजते रहेंगे। युवा वेदपाठी परम् शैव श्री मृत्युंजय हिरेमठ के सुमधुर स्वर केदारघाटी के साथ ही देश विदेश में महादेव के लाखों भक्तों में प्रसिद्ध हैं।
Param Shaiv Mrityunjay Hiremath of Kedarnath Dham Rise to Heaven
युवा वेदपाठी परम् शैव श्री मृत्युंजय हिरेमठ, रावल १०८ श्री गुरु लिंग जी महाराज के चार पुत्रों में सबसे छोटे थे। देश विदेश में बाबा केदारनाथ के भक्त मृत्युंजय को उनके मधुर मंत्रो और आरतियों से पहचानते हैं। मृत्युंजय हिरेमठ की अपने घर पर हृदय घात होने से मृत्यु हो गई।
सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये
महादेव के पांचवे ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के वेदपाठी मृत्युंजय हीरेमठ का 35 वर्ष की अल्प आयु में हृदय घात से निधन होने के समाचार ने, पूरी केदारघाटी को स्तब्द कर दिया है। राज्य समीक्षा की टीम के भी बालसखा मृत्युंजय का बचपन गुप्तकाशी में बीता। बाल्यावस्था से ही मृत्यंजय के कंठ से निकले सुमधुर भजनों से गुप्तकाशी विश्वनाथ मंदिर परिसर गुंजायमान रहता। 2 वर्ष पूर्व केदारनाथ मंदिर परिसर में उनका गाया सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये सुनिए...
केदारनाथ धाम और ओंकारेश्वर मन्दिर में वेदपाठी थे
ऊखीमठ में निवासरत रावल १०८ श्री गुरु लिंग जी महाराज के चार पुत्रों में सबसे छोटे पुत्र मृत्युंजय हीरेमठ केदारनाथ धाम और ओंकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ में वेदपाठी के पद पर कार्यरत थे । ओमकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से गूंजने वाले मधुर स्वर गुप्तकाशी और आसपास के क्षेत्र में सुनाई देते थे, तो केदारघाटी में होने का एहसास कराते थे। भावविभोर करने वाली वो मधुर आवाज अब थम गई है। कल लोकसभा चुनाव में अपने वोट डालने के बाद घर पर ही अचानक उन्हें हृदय घात हुआ, जिससे उनकी मृत्यु हो गईं। ऊखीमठ में शैव परम्परा के अनुसार इस ज्ञानी शिवभक्त को समाधि दी जायेगी।
अंतिम दर्शन: ऊखीमठ में दी जाएगी समाधी
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मंदिर समिति के कार्याधिकारी आरसी तिवारी ने मृत्यंजय के आकस्मिक निधन पर दुःख व्यक्त किया, उन्होंने कहा कि श्री केदारनाथ धाम में हीरेमठ, वेदपाठी का कार्य पूरी कर्तव्यपरायणता से निभाते थे। ऊखीमठ में शैव परम्परा के अनुसार इस ज्ञानी शिवभक्त को समाधि दी जायेगी। पंडित मृत्युंजय हिरामठे का स्वरचित शिव स्त्रोत्र जयशंभुनाथ दिगंबरम्.. ॐ शांति।