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38वें राष्ट्रीय खेल: कुछ ही दिन शेष, पर्वतारोही शीतल की पहाड़ी खिलाड़ियों को खास नसीहत

माउंट चो ओयू पर चढ़ाई करने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही शीतल ने बताया कि 38वें राष्ट्रिय खेलों का उत्तराखंड में आयोजित होने से राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों के खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक अद्भुत अवसर प्राप्त होगा।
Jan 17 2025 8:00PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय खेलों की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इन खेलों को शुरु होने में अब केवल 12 दिन बचे हैं। इस अवसर पर माउंट चो ओयू पर चढ़ाई करने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही शीतल ने राष्ट्रीय खेलों के संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। शीतल ने बताया कि उत्तराखंड में राष्ट्रिय खेलों का आयोजन होने से राज्य के दूरदराज के पहाड़ी खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का एक अद्वितीय अवसर प्राप्त होगा।

Sheetal's special advice to players for 38th national games

पिथौरागढ़ जिले के सल्लोड़ा गांव की निवासी शीतल ने 2018 में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की। इसके अलावा, उन्होंने 8,586 मीटर ऊंची माउंट कंचनजंघा पर भी सफलतापूर्वक आरोहण किया। 15 अगस्त 2021 को, शीतल ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर भारतीय ध्वज फहराया। उन्होंने त्रिशूल सहित कई अन्य चोटियों पर भी चढ़ाई का देश का गौरव बढ़ाया है। शीतल ने अपने अद्भुत साहस से तेनजिंग नोर्गें नेशनल अवार्ड भी हासिल किया है।

पहाड़ी खिलाड़ियों के लिए सुनहरा अवसर

पर्वतारोही शीतल की आशाएं अब राज्य में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय खेलों से जुड़ी हुई हैं, शीतल ने बताया कि 38वें राष्ट्रिय खेलों का उत्तराखंड में आयोजित होने राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों के खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक अद्भुत अवसर प्राप्त होगा। जो ये राष्ट्रिय खेल आयोजन उत्तराखण्ड के खेलों और खिलाड़ियों के विकास के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेंगे। शीतल कहती हैं कि राष्ट्रीय खेलों में राफ्टिंग को शामिल किया है। हालांकि यह डेमो गेम है, लेकिन साहसिक खेलों के भविष्य के लिए ये एक बड़ी शुरुआत है।

उत्तराखंड के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि

शीतल ने बताया कि पहाड़ी खिलाड़ियों ने सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी क्षमताओं को सिद्ध किया है। अब जब राष्ट्रीय खेलों के माध्यम से सुविधाएं बढ़ रही हैं, तो यह खिलाड़ियों के लिए नए अवसरों का मार्ग प्रशस्त करेगा। हालांकि पर्वतारोहण राष्ट्रीय खेलों का हिस्सा नहीं है, शीतल इस खेल को ओलंपिक और एशियाई खेलों में नई पहचान दिलाने की आशा रखती हैं। शीतल ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय खेलों का आयोजन केवल खिलाड़ियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखण्ड के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।


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