चमोली: मां चंडिका की सौ वर्ष बाद देवरा यात्रा, पिंडर नदी में समुद्र मंथन को देखने उमड़े भक्त
पिंडर नदी में आयोजित समुद्र मंथन कार्यक्रम में भी समुद्र मंथन का दृश्य भक्तों को दिखाया गया। यहां पर दूर-दूर से लोगों की भीड़ माँ चंडिका के दर्शन करने पहुंची। मां चंडिका पूरे 100 साल बाद देवरा यात्रा कर रही हैं।
Mar 19 2025 8:20PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
जनपद चमोली में स्थित राजा सगर की तपस्थली सिमली गांव की आराध्य देवी मां चंडिका 100 सालों के बाद देवरा यात्रा पर है। इससे पहले माँ चंडिका ने सन 1924 में देवरा यात्रा की थी। इस देवरा यात्रा के दौरान मां चंडिका 9 महीने भ्रमण करती है।
Maa Chandika Devra Yatra after 100 years
मां चंडिका की देवरा यात्रा लगभग 100 सालों के बाद 12 अक्टूबर 2024 से शुरू हुई थी। इस दौरान मां चंडिका ने सबसे पहले धार्मिक स्थल गोपीनाथ, रुद्रनाथ, तुंगनाथ, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में जाकर भेंट की। इस सभी देव स्थलों की यात्रा करने के बाद माँ की देवरा यात्रा चमोली के सिमली क्षेत्र में पहुंची। यहां माता अनुसूया क्षेत्र के व्योमकेश महादेव की तपस्थली मंडल पिंडर नदी में समुद्र मंथन कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम को देखने के लिए वहां कई भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।
समुद्र मंथन में 14 बहुमूल्य रत्न
मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने विश्व के कल्याण के लिए समुद्र मंथन करने का आदेश दिया। इसके लिए देवताओं और दानवों ने मंदार पर्वत और वासुकी नाग की सहायता ली, समुद्र मंथन में 14 बहुमूल्य रत्न प्राप्त हुए। इसमें सबसे पहले विष निकला जिसे देखकर सभी लोग भयभीत हो गए। इसके बाद, उन्होंने भगवान शिव का आह्वान किया, और भगवान शिव ने उस विष को पूरी तरह से पी लिया। इसी कारण से भगवान शिव को नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। समुद्र मंथन में पहला विष या हलाहल, ऐरावत हाथी, कामधेनु गाय, उच्चैःश्रवा घोड़ा, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, रम्भा नामक अप्सरा, महालक्ष्मी, वारुणी मदिरा, चंद्रमा, शारंग धनुष, पांचजन्य शंख, धन्वन्तरि और अंतिम रत्न अमृत निकला।
इससे पहले 1924 में की थी देवरा यात्रा
पिंडर नदी में आयोजित समुद्र मंथन कार्यक्रम में भी समुद्र मंथन का दृश्य भक्तों को दिखाया गया। यहां पर दूर-दूर से कई लोगों की भीड़ माँ चंडिका के दर्शन करने पहुंची थी। लोगों ने मां चंडिका से क्षेत्र और विश्व कल्याण के लिए मन्नते मांगी। मां चंडिका बीते 12 अक्टूबर 2024 को विजयदशमी के अवसर पर सगर गांव से देवरा यात्रा शुरू की। इस दौरान मां चंडिका की डोली का विभिन्न गांवों और धार्मिक स्थलों पर भक्तों ने भव्य स्वागत किया। मां चंडिका पूरे 100 साल बाद देवरा यात्रा कर रही हैं, इससे पहले 1924 में माँ ने देवरा यात्रा की थी।