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Uttarakhand News: विश्व प्रसिद्ध लेखक बिल एटकेन का देहरादून में निधन, हिंदू परंपरा से हुआ अंतिम संस्कार

मशहूर लेखक बिल एटकेन के निधन से पूरे साहित्य जगत में गहरा शोक छा गया है। एक अंग्रेजी लेखक होने के साथ-साथ, उन्हें हिंदी भाषा और गढ़वाली बोली में भी रुचि थी। वे स्वयं को वैष्णव दीक्षित हिंदू मानते थे...
Apr 17 2025 9:54PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

बीते बुधवार को देहरादून के एक निजी अस्पताल में प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक 91 वर्षीय बिल एटकिन का निधन हो गया। आज बृहस्पतिवार को हरिद्वार में हिंदू परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया गया। लेखक बिल एटकिन के निधन से साहित्य जगत में गहरा शोक छा गया है।

World famous writer Bill Aitken died in Dehradun

मशहूर अंग्रेजी लेखक बिल एटकेन (William McKay Aitken) का जन्म 1834 में स्कॉटलैंड में हुआ। वे 1959 में भारत आए और उन्होंने लगभग 1966 में भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी। उनका निवास देहरादून के टिहरी रोड पर बालाहिसार में था। बिल एटकेन मां नंदा देवी के प्रति गहरी श्रद्धा रखते थे और उन्हें हिमालय से विशेष लगाव था। एक अंग्रेजी लेखक होने के साथ-साथ, उन्हें हिंदी भाषा और गढ़वाली बोली में भी रुचि थी। वे स्वयं को वैष्णव दीक्षित हिंदू मानते थे और मंदिरों में जाना तथा दक्षिणा देना उन्हें बहुत पसंद था। इसके अलावा, वे एक कुशल पर्वतारोही भी थे। बिल एटकेन को पद्मश्री रस्किन बांड के समकक्ष लेखक के तौर पर माना जाता है। उनके निधन से सम्पूर्ण साहित्य जगत को बहुत बड़ी क्षति हुई है।

हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार की थी इच्छा

बिल एटकेन के पारिवारिक सदस्य कुशाल सिंह चौहान ने बताया कि बिल एटकेन ने 2011 में उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से किए जाने की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने कहा हम तीनों भाई एडवोकेट अरविंद सिंह चौहान, मनीष सिंह चौहान उनके साथ एक परिवार के सदस्य की तरह रहते थे। बिल एटकेन सुबह उठकर चाय पीते और कंप्यूटर पर बैठकर अपना काम करते थे। आज बृहस्पतिवार को हरिद्वार घाट पर हिंदू परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया गया।

इन पुस्तकों के लेखक हैं बिल एटकेन

मसूरी के अंग्रेजी लेखक गणेश सैली ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि एक मित्रवत और उत्कृष्ट लेखक खोने का उन्हें बड़ा दुख है। उन्होंने बताया कि बिल एटकेन ने श्री सत्यासाईं बाबा ए लाइफ, फुटलूज इन द हिमालय, 1000 हिमालयन क्विज, नंदादेवी मेला, ट्रैवल बाई लेजर लाइन, टचिंग अप ऑन द हिमालयन सेवन सेक्रेड रिवर, राइडिंग द रेंजेंज समेत कुल 14 पुस्तकें लिखी हैं।


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