image: Sarvdaman banarji in uttarakhand

जिन्हें देखकर हम बड़े हुए, वो देवभूमि में ऐसे बिता रहे हैं अपनी ज़िंदगी!

सीरीयल का वो दौर आपको याद होगा जब श्रीकृष्ण के रूप में एक किरदार ने हर किसी के दिल में जगह बनाई। वो उत्तराखंड में ही खुश हैं।
Nov 2 2018 5:36PM, Writer:आदिशा

90 के दशक का वो वक्त तो आपको याद ही होगा.. जब गांवों में ब्लैक एंड व्हाइट टीवी हुआ करते थे। रविवार की सुबह होते ही लोग नहा धोकर टीवी के सामने बैठ जाते थे। रामानंद सागर वाला धार्मिक सीरियल श्री कृष्णा शुरू हो जाता था। महाभारत, रामायण, श्री कृष्णा देखकर ही तो हम बड़े हुए हैं। उत्तराखंड के गांवों में किसी एक के पास ही टेलिविजन हुआ करता था। ऐसे में रविवार को तो लोगों की भीड़ लग जाती थी। आपको भी इन सीरीयल में भगवान कृष्ण का रोल अदा करने वाला चेहरा तो याद होगा? एक कलाकार जिसने श्रीकृष्ण के किरदार को ऐसे निभाया कि लोग उनमें ही भगवान कृष्ण को देखने लगे थे। बुजुर्ग लोग टीवी के सामने हाथ जोड़कर बैठ जाते थे। वो कलाकार हैं सर्वदमन बनर्जी। सर्वदमन बनर्जी वो शख्स हैं जो मुंबई की चकाचौंध भरी दुनिया को अलविदा कहकर उत्तराखंड चले आए और यहीं के होकर रह गए।

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सर्वदमन डी बनर्जी ऋषिकेष में रहते हैं। नदियों और पहाड़ों के बीच अपना एक मेडीटेशन सेंटर चलाते हैं। देश और विदेश से आने वाले लोग उनके योग और मेडीटेशन के फायदे उठाते हैं। इसके साथ ही सर्वदमन बनर्जी का पंख नाम का एक NGO है। इसके जरिए वो करीब 200 बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्चा सर्वदमन बनर्जी उठाते हैं। साथ ही आपको ये जानकर भी गर्व होगा कि इस एनजीओ में हर साल 50 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाता है। सर्वदमन बनर्जी कहते हैं कि एक उम्र तक ही शौक और दौलत के पीछे भागा जाता है। उसके बाद इंसान को शांति की तलाश होती है। हर दिन मां गंगा के दर्शन से उन्हें शान्ति मिलती है। सर्वदमन बनर्जी को उत्तराखंड में सकून मिलता है। बनर्जी कहते हैं कि जो शांति उत्तराखंड में है, शायद वो कहीं भी नहीं मिल सकती, चाहे दुनिया के किसी भी कोने में ही क्यों ना चले जाएं।

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सर्वदमन बनर्जी वो कलाकार हैं, जिसके किरदार को हम सभी ने जिया है। अगर ये कहें कि उन्हें देखे बिना हमारा संडे नहीं कटता था, तो शायद गलत नहीं होगा। उनकी अदाकारी को हर किसी ने सलाम किया लेकिन इस शख्स का दिल देखिए। सब कुछ छोड़कर उत्तराखंड में बस गए। सर्वदमन कहते हैं कि उत्तराखंड वास्तव में देवभूमि है। वो कहते हैं कि किसी भी हाल में वो इस देवभूमि को छोड़कर नहीं जा सकते। सर्वदमन के लिए अब उत्तराखंड ही सब कुछ है। अपने जीवन के इस वक्त को वो देवभूमि में ही बिताना चाहते हैं।

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