image: Garhwali kumaoni anf jaunsari classes started by minister prasad naithani

गढ़वाली, कुमाउंनी और जौनसारी बोलना सीखिए, पूर्व शिक्षा मंत्री ने शुरू की पाठशाला

अगर आप भी पूर्व शिक्षा मंत्री के घर पर गढ़वाली, कुमाउंनी और जौनसारी की शिक्षा लेना चाहते हैं तो चले आइए।
Jan 3 2019 10:28AM, Writer:Komal Negi

उत्तराखंड की संस्कृति और बोलियों की अपनी अलग विशेषता है। बदलते दौर के साथ पहाड़ के परिवेश में अंतर आया है और इसका असर पहाड़ की संस्कृति पर भी दिख रहा है, लोग अपनी बोली-भाषा से दूर होते जा रहे हैं। खासकर शहरों में रहने वाले बच्चे जिन्हें क्षेत्रीय बोली नहीं आती। ऐसे दौर में उत्तराखंड के एक पूर्व मंत्री ने बच्चों को गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा पढ़ाने का कार्यक्रम शुरू किया है। पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने इस कार्यक्रम की शुरुआत अपने आवास से की है। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि रोजाना शाम 4 बजे से 5 बजे तक बच्चों को गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोली पढ़ाई जाएगी। इस काम के लिे बकायदा एक टीम तैयार की गई है। आइए आपको बताते हैं कि इस टीम में कौन कौन हैं और कौन क्या सबजेक्ट पढ़ाएंगे।

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कारोबारी विनोद चौहान बच्चों को जौनसारी पढ़ाएंगे जबकि दून मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंड प्रोफेसर डॉ. एमके पंत बच्चों को कुमाऊंनी बोली पढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने स्थानीय बोलियों को स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम से जोड़ने की पहल की थी, लेकिन आचार संहिता लगने की वजह से ये अभियान आगे नहीं बढ़ पाया। सरकार की तरफ से भी बोली-भाषा के संरक्षण के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया, यही वजह है कि उन्हें इस अभियान की शुरुआत अपने घर से करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि वो प्रदेश स्तर पर इस तरह की कक्षाओं के आयोजन की योजना बना रहे हैं ताकि संविधान की आठवीं अनुसूची में गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोली को जगह दिलाई जा सके। कुल मिलाकर कहें तो ये अपनी बोली-भाषाओं को बचाने के लिए एक शानदार पहल है।


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