image: The only rahu temple in the country is in the dev bhumi

देवभूमि में है देश का एकमात्र राहु मंदिर, राहु शांति के लिए देश-विदेश से पहुंचते हैं लोग

पैठाणी के राहु मंदिर में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु राहु ग्रह की शांति के लिए आते हैं। इस मंदिर के दर्शन करने मात्र से ही राहु दोष से मुक्ति मिल जाती है।
Apr 28 2019 3:46PM, Writer:कोमल नेगी

जीवन में संतुलन होना जरूरी है, जब भी संतुलन बिगड़ता है तो उसके घातक परिणाम देखने को मिलते हैं, ये संतुलन ग्रह दशा में होना भी जरूरी है। ऐसा ना होने पर विपत्तियां आने लगती हैं, परेशानियां बढ़ती हैं। राहु दोष ऐसा ही एक दोष है, जिसे शांत करने के लिए लोग तमाम उपाय करते हैं, लेकिन देवभूमि में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां भगवान के दर्शन करने मात्र से ही राहु दोष से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है। ये है पौड़ी के पैठाणी गांव का राहु मंदिर, वैसे इस मंदिर में भगवान महादेव की पूजा होती है, लेकिन कहते हैं कि राहु दोष निवारण के लिए इस मंदिर में पूजा-अर्चना करना बेहद फलदायी है। अगर आप भी राहु दोष से परेशान हैं तो देवभूमि के इस मंदिर में चले आइए...थलीसैंण के पैठाणी गांव में स्थित ये मंदिर राहु दोष से मुक्ति दिलाता है। पश्चिम की ओर मुख वाले इस प्राचीन मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग व मंदिर की शुकनासिका पर शिव के तीनों मुखों का अंकन है। मंदिर की दीवारों के पत्थरों पर आकर्षक नक्काशी की गई है, जिनमें राहु के कटे हुए सिर व सुदर्शन चक्र उकेरे गए हैं, जिस वजह से इस मंदिर को राहु मंदिर नाम दिया गया।

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ये देश का एकमात्र राहु का मंदिर है, जिसमें राहु ग्रह शांति के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु आते हैं। पर्वतीय अंचल में स्थित ये मंदिर बेहद भव्य और सुंदर है। इस मंदिर की भव्यता को निहारने देश-दुनिया से पर्यटक पैठाणी पहुंचते हैं। इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है। स्कंद पुराण के केदारखंड में वर्णन मिलता है कि राष्ट्रकूट पर्वत पर पूर्वी व पश्चिमी नयार के संगम पर राहु ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी, जिस वजह से यहां राहु के मंदिर की स्थापना हुई। राष्ट्रकूट पर्वत के नाम पर ही यह राठ क्षेत्र कहलाया। साथ ही राहु के गोत्र "पैठीनसि" के कारण इस गांव का नाम पैठाणी पड़ा। मंदिर को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं, कहा तो ये भी जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब राहु ने छल से अमृतपान कर लिया तो श्रीहरि ने सुदर्शन चक्र से उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया था। ऐसी मान्यता है कि राहु का कटा सिर इसी जगह पर गिरा था, जहां आज भव्य मंदिर बना है...तो अगर आप भी राहु दोष से परेशान हैं, निराश हैं...तो पैठाणी चले आइए, क्योंकि हर समस्या का समाधान देवों के देव महादेव के पास ही मिलेगा।


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