image: 108 services roaming on fake calls in Uttarakhand,

शर्मनाक! उत्तराखंड में 108 सेवा पर की जा रही हैं फर्जी कॉल..मरीजों से खिलवाड़

कुछ असामाजिक तत्वों ने 108 नंबर को अपने मजे का साधन बना लिया है...ऐसे लोगों की संवेदनहीनता मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है।
May 10 2019 11:29AM, Writer:आदिशा

लोग कहते हैं कि आजकल किसी के पास फालतू समय नहीं है...पर ऐसा है नहीं क्योंकि कम से कम आपातकालीन सेवा 108 के कर्मचारी तो इस बात से बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखते, ऐसा इसलिए क्योंकि इन दिनों 108 नंबर पर खूब फर्जी कॉल्स आ रही हैं, अपने जरा से मजे के लिए कुछ स्वार्थी लोगों ने इस इमरजेंसी सर्विस को मजाक बना दिया है। फर्जी कॉल आने पर 108 एंबुलेंस यहां से वहां दौड़ती रहती है और ऐसे में जिन जरूरतमंदों को वास्तव में एंबुलेंस की जरूरत होती है उन तक एंबुलेंस समय पर पहुंच नहीं पाती। समय पर इलाज ना मिलने पर जब लोग मरते हैं तो लोग 108 को जमकर कोसते हैं, सरकार को गालियां देते हैं, लेकिन असल में इन मौतों के जिम्मेदार वो लोग होते हैं जो कि फर्जी कॉल कर 108 एंबुलेंस को बुलाते हैं...एंबुलेंस को बिजी कर देते हैं। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में जहां कि दुर्गम जगहों पर 108 सेवा ही उम्मीद की आखिरी किरण हैं, वहां पर कुछ असामाजिक तत्वों का ऐसा घिनौना मजाक केवल शर्मनाक ही नहीं बल्कि महापाप भी है। इन दिनों आपातकालीन सेवा 108 को जमकर फर्जी कॉल्स आ रही हैं। कर्मचारी इन फर्जी कॉल्स से परेशान हैं। हालात यह हैं कि पहाड़ी जिलों से लेकर मैदानी जिलों तक गलत सूचनाओं के जरिए आपातकालीन सेवा 108 को खूब दौड़ाया जा रहा है।

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अब इमरजेंसी सेवा देने वाली कंपनी ने ऐसा करने वालों को सबक सिखाने का मन बना लिया है। पिथौरागढ़ और पौड़ी जिले में कंपनी ने फर्जी कॉल करने वाले के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवा दी है। 108 सेवा के कर्मचारियों ने बताया कि फर्जी कॉल्स के चक्कर में एंबुलेंस को कई किलोमीटर तक दौड़ना पड़ रहा है। कंपनी का ये आरोप भी है कि कुछ लोग 108 सेवा को बदनाम करने के लिए फर्जी कॉल्स करा रहे हैं, क्योंकि वो नहीं चाहते कि आपातकालीन सेवा 108 बेहतर तरीके से चल सके। पिछले कुछ दिनों में फर्जी कॉल्स के ऐसे 24 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें फर्जी कॉल कर एंबुलेंस को व्यस्त रखने की कोशिश की गई। इन मामलों में एंबुलेंस के कई किलोमीटर जाने के बाद पता चला कि उन्हें गलत सूचना दी गई, जिसके बाद उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ा। कहा तो ये भी जा रहा है कि 108 के खिलाफ आंदोलनरत कुछ पूर्व कर्मचारी भी इस साजिश में शामिल हैं...अगर ये सच है तो इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं...क्योंकि फर्जी कॉल से 108 के कर्मचारी तो परेशान हैं हीं साथ ही जरूरतमंदों तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पा रही। ऐसे लोगों से सख्ती से निपटने की जरूरत है। अब एफआईआर भी दर्ज हो गई है, देखते हैं फर्जी कॉलर्स कब पकड़े जाते हैं।


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