बदरीनाथ धाम में मौजूद है ये चमत्कारी पौधा..इस पर रिसर्च के बाद वैज्ञानिक भी हैरान
बदरीधाम में मिलने वाले एक पौधे ने इन दिनों वैज्ञानिकों को हैरान किया हुआ है...इस पौधे में औषधीय गुण तो हैं ही साथ ही ग्लोबल वॉर्मिंग से निपटने की क्षमता भी है..
May 10 2019 9:50AM, Writer:आदिशा
उत्तराखंड का बदरीनाथ धाम करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है, यहां की मान्यताएं, परंपराएं खुद मे सदियों का इतिहास समेटे हुए है, कहा जाता है कि यहां के कण-कण में साक्षात नारायण विद्यमान हैं...काफी हद तक ये बात सच भी लगती है क्योंकि यहां मिलने वाले एक पौधे के औषधीय गुणों ने इन दिनों वैज्ञानिकों को भी हैरान कर रखा है। ये पौधा ना सिर्फ खुद में औषधीय गुण समेटे हुए है, बल्कि रिसर्च में पता चला है कि इसमें ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने की अद्भुत क्षमता भी है...ये पौधा है बदरी तुलसी...जो कि बड़े पैमाने पर सिर्फ बदरीधाम के आस-पास ही मिलती है। इसके औषधीय गुणों के बारे में तो लोग सदियों से जानते हैं, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसके दूसरे अद्भुत गुणों का खुलासा किया है। दरअसल वैज्ञानिक अपनी रिसर्च से पता कर रहे थे कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का बदरी तुलसी पर क्या असर पड़ेगा? लेकिन नतीजों ने उन्हें चौंका दिया। रिसर्च में पता चला कि हजारों साल पहले हिमालय की बर्फीली वादियों में उपजी और ठंडे माहौल में रहने की आदी बदरी तुलसी अधिक कार्बन सोखेगी। इतना ही नहीं तापमान बढ़ने पर बदरी तुलसी मुरझाएगी नहीं, बल्कि और शक्तिशाली हो जाएगी।
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बदरीनाथ क्षेत्र के ग्रामीणों ने बदरी तुलसी को भगवान नारायण को समर्पित कर दिया है, यही वजह है कि यहां ये पौधा अच्छी तरह संरक्षित है। बदरी तुलसी के पौधे को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाता। चारधाम आने वाले सैलानी और श्रद्धालु बदरी तुलसी को प्रसाद के रूप में अपने घर ले जाते हैं। श्रद्धालु केवल इसे प्रसाद के लिए तोड़ते हैं। पुराणों में भी इसके औषधीय गुणों का खूब बखान किया गया है। वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) की इकोलॉजी, क्लाइमेट चेंज एंड फॉरेस्ट इन्फ्सुएंस डिवीजन ने अपने ओपन टॉप चैंबर में इस पर परीक्षण किया। जिसमें पाया गया कि बदरी तुलसी में सामान्य तुलसी और अन्य पौधों से कार्बन सोखने की क्षमता 12 फीसदी अधिक है। तापमान अधिक बढ़ने पर इसकी क्षमता 22 फीसदी और बढ़ जाएगी। इसका पौधा 5-6 फुट लंबा हो जाता है। पौधे छतरी की शक्ल बना लेते हैं, जिससे यह अधिक कार्बन सोख लेती है। बदरी तुलसी का इस्तेमाल चर्म रोग, डायरिया, डायबिटीज, घाव, बाल झड़ना, सिर दर्द, इंफ्लुइंजा, फंगल संक्रमण, बुखार, कफ-खांसी, बैक्टीरियल संक्रमण आदि में बेहद फायदेमंद पाया गया है और अब तो ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने की इसकी क्षमता ने वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाल दिया है। आस्था हो या फिर विज्ञान हर कसौटी पर बदरी तुलसी का पौधा शत-प्रतिशत खरा उतरा है, लोगों के लिए ये किसी चमत्कार से कम नहीं है।