image: ajit dobhal in gheedi village pauri

जय देवभूमि: कुलदेवी की पूजा करने अपने गांव पहुंचे अजीत डोभाल..छाई खुशी की लहर

दोबारा एनएसए बनने के बाद अजीत डोभाल एक बार फिर अपने पैतृक गांव पहुंच गए हैं, वो निजी दौरे पर घीड़ी गांव आए हैं...
Jun 22 2019 12:30PM, Writer:कोमल नेगी

अच्छा लगता है, जब ऊंचे ओहदों पर होने के बावजूद उत्तराखंड के लोग अपनी मिट्टी, अपनी संस्कृति को नहीं भूलते। देश की सेवा करते हुए अपने पहाड़ से भी जुड़े रहते हैं। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल। एक प्रभावशाली पद पर होने के बावजूद वो पहाड़ को कभी नहीं भूले। पहाड़ से, अपने गांव से उनका गहरा जुड़ाव रहा है। समय-समय पर उन्होंने इस बात को जाहिर भी किया। शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल निजी दौरे पर मंडल मुख्यालय पौड़ी पहुंचे, जहां अधिकारियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। चलिए अब आपको बता देते हैं कि अजीत डोभाल का ये दौरा खास क्यों है। दरअसल अजीत डोभाल शनिवार को अपने पैतृक गांव घीड़ी जाएंगे। जहां वो अपनी कुलदेवी बाल कुंवारी देवी की आराधना करेंगे। अजीत डोभाल के आगमन से उनके गांव में खुशी की लहर है। गांव वाले बस उनकी एक झलक देखना चाहते हैं।

ढोल-दमाऊं से स्वागत

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घीड़ी गांव में डोभाल अपनी कुलदेवी की पूजा करेंगे। पिछले कई सालों से वो इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं। वैसे तो अजीत डोभाल पहले भी अपने पैतृक गांव आ चुके हैं, लेकिन ये मौका इसलिए खास है क्योंकि डोभाल दूसरी बार एनएसए बने हैं। उनका प्रभाव बढ़ा है, साथ ही जिम्मेदारी भी। दोबारा एनएसए बनने के बाद वो पहली बार अपने पैतृक गांव आए हैं। पौड़ी पहुंचने के बाद उन्होंने अधिकारियों से मुलाकात की। सर्किट हाउस पहुंचने पर आयुक्त गढ़वाल डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दलीप सिंह कुंवर ने उनसे मुलाकात की।

गांव में होगी पूजा

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उनके पैतृक गांव में पूजा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं। कुलदेवी की पूजा करने के बाद वो वापस दिल्ली लौट जाएंगे। आपको बता दें कि अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को पौड़ी के बनेलस्यूं पट्टी में स्थित घीड़ी गांव में हुआ था। वो 1968 बैच के केरल कैडर के आईपीएस अफसर हैं। साल 2014 में वो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने। उस वक्त भी वो साल 2014-15 में निजी दौरे पर अपने गांव आए थे। इसी साल 3 जून को उन्हें दोबारा एनएसए बनाया गया, साथ ही कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया है।


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