DM मंगेश घिल्डियाल ने स्कूल के नाम लिखी गढ़वाली चिट्ठी, सोशल मीडिया पर हुई वायरल
हाल ही में डीएम मंगेश घिल्डियाल की लिखी एक चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, इस चिट्ठी में क्या खास है आप भी पढ़ें...
Jul 26 2019 6:32PM, Writer:कोमल नेगी
रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल अपनी ईमानदार छवि और अलग कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। बात चाहे जनता के हित की हो या फिर भाषा-संस्कृति को बचाने की, वो इसके लिए हमेशा प्रयासरत रहे हैं। हाल ही में उन्होंने ऐलान किया था कि जल्द ही रुद्रप्रयाग के सरकारी स्कूलों में बच्चों को गढ़वाली भाषा पढ़ाई जाएगी। गढ़वाली भाषा से उन्हें कितना लगाव है, इसकी एक तस्वीर हाल ही में देखने को मिली। इन दिनों डीएम मंगेश घिल्डियाल की लिखी एक चिट्ठी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। यूं तो ये आम बधाई पत्र है, पर पत्र की खास बात ये है कि चिट्ठी हिंदी-इंग्लिश में नहीं, बल्कि गढ़वाली में लिखी गई है। भई पहाड़ के लोग गढ़वाली से लगाव-जुड़ाव तो महसूस करते हैं। गढ़वाली बोलते भी हैं, लेकिन हममें से कितने लोग हैं जो कि गढ़वाली लिखते हैं। ऐसे में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने जो किया है वो वाकई काबिले तारीफ है। चिट्ठी में लिखा है कि ‘आज मिथै राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोट तल्ला नागपुर मां आणकु मौका मिली। मि अपथें भाग्यशाली समझुणु छौं कि ये विद्यालय मां जो भी काम हूणां छन ऊंथै देखण कू और समझणा कु मिथैं मौका मिली। ये विद्यालय का बच्चों का अंदर पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण, प्रकृति प्रेम का जू भी संस्कार विकसित हूणां छिन, वो ऊंकु भविष्य खण एक सौगात च। मिथैं पूरू विश्वास च कि ये स्वस्थ वातावरण मां यूं सब बच्चूं कू मानसिक विकास उच्च स्तर कू ह्वालु। मीं यख का अध्यापक श्री भण्डारी जी थैं कोटि कोटि साधुवाद देंदु।’
पढ़िए पूरी चिट्ठी
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इससे उन लोगों तक भी सकारात्मक संदेश पहुंचेगा, जो गढ़वाली जानते तो हैं पर लिखते नहीं। बोली-भाषा को बचाने का सबसे सही तरीका यही है कि हम लोग इसका इस्तेमाल करें। गढ़वाली बोलें और लिखें भी। डीएम की गढ़वाली में लिखी ये चिट्ठी ऐसे वक्त में लिखी गई है, जबकि लोगों के लिए क्षेत्रीय भाषा बोलना गर्व नहीं, बल्कि शर्म का विषय बन गया है। खुद को मॉर्डन बताने वाले लोग बच्चों को अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों में भेजते हैं, इसमें कोई बुराई भी नहीं है, लेकिन बच्चों को गढ़वाली बोलना नहीं सिखाते, इससे परहेज करते हैं, ये गलत बात है। ऐसे लोगों के लिए डीएम मंगेश घिल्डियाल का ये प्रयास प्रेरणा देने का काम करेगा। जब एक आईएएस अफसर गढ़वाली बोल सकता है, लिख सकता है तो हम क्यों नहीं। इससे लोगों का गढ़वाली भाषा से लगाव पैदा होगा। गढ़वाली बचेगी तो हमारी संस्कृति भी बची रहेगी। आप भी पढ़ें डीएम मंगेश घिल्डियाल की गढ़वाली में लिखी ये चिट्ठी...ये चिट्ठी पढ़कर आप भी उनकी तारीफ करने लगेंगे।