देवभूमि के हर जिले में होनी चाहिए ऐसी अफसर, जो अपने दम पर बदल रही है सरकारी स्कूलों की सूरत
पहाड़ के हर जिले में गीतिका जैसे अफसर हों तो सरकारी स्कूलों पर ताला जड़ने की नौबत नहीं आएगी...
Sep 5 2019 11:18AM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छुपी नहीं है। स्कूल बदहाल हैं, कहीं बच्चे नहीं हैं तो कहीं टीचर। हम सरकारी स्कूलों की बदहाली पर बहस तो करते हैं, पर सुधार के लिए कदम नहीं उठाते। ऐसे वक्त में डिप्टी एजुकेशन ऑफिसर गीतिका जोशी जैसे अफसर उम्मीद जगाते हैं। उम्मीद बेहतरी की, बच्चों के उज्जवल भविष्य निर्माण की। गीतिका जोशी अल्मोड़ा में बतौर डिप्टी एजुकेशन ऑफिसर तैनात हैं। उनकी कोशिशों से अल्मोड़ा के 57 स्कूल संवर गए हैं। बच्चों को खेल के जरिए पढ़ाई से जोड़ा जा रहा है। जर्जर भवनों की मरम्मत हुई है। सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम बन गए हैं। बात साल 2015 की है। गीतिका जोशी ताड़ीखेत ब्लॉक में पोस्टिंग पर आईं थी। पहाड़ में ठंड पड़ रही थी। गीतिका ऑफिस के पास स्थित एक सरकारी स्कूल का जायजा लेने गईं, तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने देखा स्कूल में बैठे बच्चे ठंड से ठिठुर रहे थे। उनके पास गर्म कपड़े नहीं थे। स्कूल की बिल्डिंग जर्जर थी। छत से पानी टपक रहा था। गीतिका ने सोचा सरकारी खर्चे से स्कूल की मरम्मत करा दें, पर इसमें काफी वक्त लगता। बाद में उन्होंने अपने खर्चे से स्कूल की मरम्मत कराई। साथ ही स्कूल के टीचर्स को नसीहत भी दी कि जिस स्कूल की बदौलत उन्हें आमदनी हो रही है, उसे ठीक रखना उनकी जिम्मेदारी भी है।
यह भी पढ़ें - शाबाश पंकज सेमवाल...पहाड़ के इस वीर नौजवान को जनरल रावत ने भी किया सलाम
यहीं से गीतिका की मुहिम चल पड़ी। लोग उनके साथ जुड़ते गए। सरकारी स्कूलों की हालत सुधरने लगी। गीतिका सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने के लिए रूपांतरण कार्यक्रम चला रही हैं। इस कार्यक्रम के तहत लोग सहायता राशि देकर स्कूलों की हालत सुधारने में अपना योगदान दे सकते हैं। कई लोगों ने आर्थिक मदद भी की है। रानीखेत के विधायक करण माहरा ने भी 24 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी। गीतिका की बदौलत अल्मोड़ा के सरकारी स्कूलों की हालत सुधर गई है। अपनी मुहिम के लिए गीतिका नेशनल अवॉर्ड पा चुकी हैं। गीतिका जैसे लोग पहाड़ के लिए एक बड़ी उम्मीद हैं। उत्तराखंड के हर जिले में गीतिका जोशी जैसे शिक्षा अधिकारी होंगे तो सरकारी स्कूलों पर ताला जड़ने की नौबत नहीं आएगी।