बदरीनाथ-केदारनाथ में फेंके प्लास्टिक कचरे से बनेगा डीजल, पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी का बड़ा काम
हिमालय और पर्यावरण को बचाने के लिए बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने जो किया है, वो वाकई सराहनीय है...
Sep 5 2019 10:20AM, Writer:कोमल नेगी
चारधाम यात्रा उत्तराखंड की आर्थिकी की रीढ़ है। हर साल लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड आते हैं। श्रद्धालु यहां से अच्छी यादें लेकर जाते हैं, लेकिन इनके लौटने के साथ ही पहाड़ में जगह-जगह कूड़े के ढेर दिखने लगते हैं। हर जगह प्लास्टिक की बोतलें और कचरा पड़ा मिलता है। ये हिमालयी क्षेत्र के लिए अच्छा नहीं है। इस कचरे से निपटने के लिए श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने शानदार कदम उठाया है। अब बदरीनाथ और केदारनाथ में जमा होने वाले प्लास्टिक के कचरे को कंप्रेस कर के देहरादून भेजा जाएगा। जहां इससे डीजल बनेगा। प्लास्टिक के कचरे का इससे बेहतर इस्तेमाल हो ही नहीं सकता। प्लास्टिक का कचरा हटेगा तो हमारा पर्यावरण बचेगा। बदरीनाथ-केदारनाथ धाम में हर साल 19 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। बड़ी तादाद में आने वाले श्रद्धालु प्लास्टिक का कचरा वहीं फेंक देते हैं। अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के किनारे भी प्लास्टिक के कचरे के ढेर दिखते हैं। जिस वजह से गंगा भी प्रदूषित हो रही है।
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प्लास्टिक से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। प्लास्टिक से निपटने के लिए अब मंदिर समिति कांपेक्टर मशीन लगाएगी। जिससे प्लास्टिक को कंप्रेस किया जाएगा। बाद में कंप्रेस प्लास्टिक को देहरादून के इंडियन पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट भेजा जाएगा, जहां साइंटिस्ट इससे डीजल तैयार करेंगे। पहाड़ों के लिए प्लास्टिक गंभीर खतरा है। हिमालय का संरक्षण करना है तो पहाड़ों को प्लास्टिक से आजादी दिलानी होगी। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ने कोशिशें शुरू कर दी हैं। दूसरे संगठनों को भी इस पहल में साथ देना चाहिए। हमारी भी तीर्थयात्रियों से अपील है कि वो प्लास्टिक का कचरा यहां-वहां ना फेंके। जितना संभव हो प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचें। प्लास्टिक की खाली बोतलें या दूसरा कचरा डस्टबिन में डालें, इन्हें नदियों में ना फेंके। प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है, ये लगभग एक हजार साल तक नष्ट नहीं होता, इसीलिए प्लास्टिक का इस्तेमाल ना करें।