पहाड़ में ऐसे जिलाधिकारी होने चाहिए..ये बदहाली देखकर DM को आया गुस्सा, लिया सख्त एक्शन
डीएम स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे तो वहां दवाईयों का स्टॉक खत्म मिला, कर्मचारी गायब थे, इसी तरह सरकारी स्कूल की पानी की टंकी में छिपकलियां घूम रही थीं, टॉयलेट भी गंदा था...
Nov 28 2019 11:57AM, Writer:कोमल नेगी
शिक्षा और स्वास्थ्य हर नागरिक की जरूरत ही नहीं, उसका अधिकार भी है, पर अफसोस कि पहाड़ में ये दोनों ही सुविधाएं दम तोड़ रही हैं। सरकारी स्कूलों की हालत खराब है, कहीं टीचर नहीं हैं तो कहीं स्कूल भवन। स्वास्थ्य सेवाओं का भी यही हाल है। अस्पताल में डॉक्टर नहीं रहते, डॉक्टर होते हैं तो दवाई नहीं होती, यानि कुल मिलाकर मरीज को इलाज के लिए शहर ही जाना पड़ता है। हाल ही में उत्तरकाशी के डीएम आशीष चौहान ने डुंडा तहसील के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सरकारी इंटर कॉलेज का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य केंद्र और स्कूल में बदहाली का आलम साफ नजर आया। डीएम सबसे पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। वहां ओपीडी व्यवस्था में खामियां मिलीं, दवाओं का स्टॉक भी नहीं था। पीएससी में कर्मचारी भी गायब मिले। जिसके बाद नाराज डीएम ने अस्पताल के स्टोर रूम को सीज कर दिया।
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डीएम ने अस्पताल के संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं। अस्पताल के बाद डीएम आशीष चौहान इंटर कॉलेज पहुंचे। वहां का नजारा भी बदहाली की कहानी बयां कर रहा था। स्कूल में जिस टंकी से पानी पहुंचाया जाता है, वहां छिपकलियां घूम रहीं थीं। स्कूल के टॉयलेट के भी हाल बुरे थे। स्कूल की बिल्डिंग जीर्ण-शीर्ण हालत में थी। स्कूल की ये हालत देख डीएम का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा। उन्होंने कहा कि स्कूल में इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। डीएम ने इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं। कार्रवाई सिर्फ डुंडा में हुई है, लेकिन पहाड़ के दूसरे गांवों के हाल भी बेहतर नहीं हैं। स्कूल और स्वास्थ्य केंद्रों का होना ना होना बराबर है। शिकायत करने के बाद भी अफसर स्कूलों-स्वास्थ्य केंद्रो की हालत देखने नहीं पहुंचते। जनप्रतिनिधियों और अफसरों को ऐसे क्षेत्रों में जाना चाहिए, लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। जिम्मेदार कर्मचारियों के मन में कार्रवाई का खौफ होगा, तभी हालात भी सुधरेंगे।