image: 79 year old retired subedar major passed high school first class

देवभूमि के इस रिटायर्ड फौजी को सलाम, 80 साल की उम्र में फर्स्ट डिविजन से पास किया हाईस्कूल

दानीराम सेना में सैनिक थे, रिटायरमेंट के बाद उन्होंने पढ़ाई शुरू की और ये ठान लिया कि चाहे कुछ हो जाए हाईस्कूल पास कर के ही दम लेंगे...
Dec 15 2019 6:48PM, Writer:कोमल नेगी

जो लोग जीवन में नया काम करने से हिचकते हैं, हमेशा बुढ़ापे-उम्र बढ़ने का बहाना कर नई शुरुआत करने से घबराते हैं, उन्हें पिथौरागढ़ के दानीराम से सीख लेनी चाहिए। दानीराम ने हाल ही में हाईस्कूल की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन में पास की है। अब आप सोचेंगे कि इसमें तो कोई नई बात नहीं, दरअसल नई ये है कि दानीराम कोई स्कूल-कॉलेज जाने वाले युवा नहीं, बल्कि 79 साल के बुजुर्ग हैं। दानीराम सेना में सैनिक थे, रिटायरमेंट के बाद उन्होंने पढ़ाई शुरू की और ये ठान लिया कि चाहे कुछ हो जाए हाईस्कूल पास कर के ही दम लेंगे। मेहनत का मीठा फल भी उन्हें मिला और 79 साल की उम्र में उन्होंने हाईस्कूल पास कर मैदान जीत लिया। पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट में एक गांव है चनौला, दानीराम इसी गांव के रहने वाले हैं। इस वक्त चकरपुर बिल्हरी में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से हाईस्कूल पास किया है। दिसंबर में जैसे ही उनका रिजल्ट आया परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। आस-पास के लोग दानीराम को बधाई देने पहुंचने लगे। शिक्षा के लिए दानीराम ने जो संघर्ष किया, उसके पीछे की कहानी भी आपको जरूर जाननी चाहिए।

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दानीराम का जन्म 18 नवंबर 1940 में हुआ, साल 1995 में वो सीआरपीएफ से सूबेदार मेजर के पद से रिटायर हुए। जिस वक्त दानीराम सेना में भर्ती हुए थे, उस वक्त उन्होंने सिर्फ आठवीं तक की पढ़ाई की थी। अलग-अलग पदों पर काम करते हुए वो 1995 में सूबेदार मेजर बनकर रिटायर हुए। दानीराम बताते हैं कि साल 1993 में उनका नाम असिस्टेंट कमांडेंट के पद के लिए भेजा गया था, लेकिन वो असिस्टेंट कमांडेंट बन नहीं पाए, क्योंकि हाईस्कूल पास नहीं थे। पढ़ाई का महत्व वो अच्छी तरह जानते थे, इसीलिए बच्चों को खूब पढ़ाया और आज सभी बच्चे सेटल हैं। रिटायर होने के बाद भी दानीराम के मन में हाईस्कूल पास ना होने की टीस लगातार बनी रही। इसी बीच उन्हें राजकीय इंटर कॉलेज के शिक्षक नरेंद्र रौतेला मिले, जिन्होंने दानीराम को पढ़ने के लिए प्रेरित किया। दानीराम की जगह कोई और होता तो सोचता कि लोग क्या कहेंगे, पर दानीराम ने ऐसा नहीं सोचा। वो हाईस्कूल की तैयारी करने लगे। हाईस्कूल की परीक्षा दी और जब दिसंबर में रिजल्ट आया तो उसमें दानीराम ने 500 में से 303 अंक हासिल कर फर्स्ट डिवीजन हासिल की। बुजुर्ग दानीराम की आज हर तरफ तारीफ हो रही है। वो खुद तो पढ़ ही रहे हैं,साथ ही गरीब छात्रों को भी पढ़ाई जारी रखने में मदद कर रहे हैं।


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