उत्तराखंड: शहीदों के गांव में पहली बार पहुंची गाड़ी, ग्रामीणों के लिए बन गया यादगार दिन
यमुना घाटी के पौल गांव को शहीदों के गांव के रूप मे जाना जाता है। पिछले कई साल से ये गांव सड़क के लिए तरस रहा था। अब गांव में सड़क बन गई है, मंगलवार को यहां पहली बार चौपहिया वाहन पहुंचा...
Feb 19 2020 7:22PM, Writer:कोमल नेगी
देश को आजाद हुए कई दशक बीत चुके हैं, लेकिन पहाड़ के सुदूरवर्ती गांवों को अपनी समस्याओं से ना जाने कब आजादी मिलेगी। दूरस्थ गांवों में रहने वाले लोग आज भी बिजली-पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। लोग कहते हैं कि हर पांच साल में सरकार तो बदलती है, लेकिन गांवों के हालात नहीं बदल रहे। उत्तरकाशी के बड़कोट तहसील से सटे पौल गांव का भी यही हाल था। इस गांव में सड़क नहीं थी। कुछ समय पहले गांव में मनरेगा के तहत सड़क बनी और मंगलवार को गांव में पहली बार चौपहिया वाहन पहुंचा। चौपहिया वाहन देखकर गांव वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लगा सालों की मेहनत का फल मिल गया। गांव वालों ने कहा कि अब उन्हें खेतों में पैदा होने वाली नकदी फसल, दूध और सब्जियां बाजार तक पहुंचाने में आसानी होगी। बता दें कि यमुना घाटी में स्थित पौल गांव को शहीदों के गांव के नाम से जाना जाता है। यहां के कई जवान देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे चुके हैं, इसके बावजूद ये गांव सड़क के लिए तरस रहा था। सालों बाद आखिरकार गांव को अपनी सड़क मिल ही गई। गांव के रहने वाले पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सिद्धि भट्ट ने बताया कि गांव में 'मेरा गांव मेरी सड़क' योजना के तहत इस सड़क का निर्माण किया गया है। लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क के बन जाने से ग्रामीणों काफी राहत मिलेगी।
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