चमोली ज़िले की बेटी..दुकान में सिम बेचकर की पढ़ाई, HNB यूनिवर्सिटी में बनी गोल्ड मेडलिस्ट
इस बेटी ने पढ़ाई के लिए दुकान में सिम बेचने का काम भी किया। बेहद ही अच्छी और सच्ची कहानी जरूर पढ़िए
Feb 22 2020 12:30PM, Writer:komal
चमोली में विकास नगर घाट के लुंन्तरा गांव की अंजलि ने विकास नगर घाट के साथ-साथ चमोली जनपद का नाम भी रोशन किया है। स्नातकोतर महाविद्यालय गोपेश्वर के एम.ए अंग्रेजी की कक्षा में अध्यनरत अंजलि बिष्ट गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय टॉप कर गोल्ड मेडल हासिल किया है। घाट क्षेत्र के सुंग गांव के ग्रामीण परिवेश में पली बड़ी अंजलि का छात्र जीवन संघर्षो से भरा रहा। 6 माह पहले ही अंजली का विवाह घाट क्षेत्र के ही लुंन्तरा गांव के जगमोहन बिष्ट के साथ हुआ है, जो कि अभी भारतीय वायु सेना में तैनात है। अंजली के पिता गांव में किसानी का कार्य करते है,अंजलि के अंदर पढ़ाई का जज्बा और कुछ कर दिखाने की हौसला बचपन से ही था, इसलिए अंजलि पढ़ाई के लिये गांव के ही स्कूल से 5 वी पास करने के बाद अपने मामा के साथ मुरादाबाद गई। अंजलि ने मामा के घर में रह कर ही 10 तक कि पढ़ाई पूरी की लेकिन अचानक मामा की तबियत बिगड़ने से से अंजलि को मामा के परिवार के साथ मुरादाबाद छोड़कर वापस विकासनगर घाट आना पड़ा। मामा का गांव इंटर कालेज से दूर होने की वजह से अंजलि ने घाट में अपनी मौसी के घर पर रह कर इंटर कालेज घाट से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अंजलि की पारिवारिक स्थिती मजबूत नही होने के कारण आगे की पढ़ाई में बाधा उत्पन्न होने लगी। आगे भी पढ़िए
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लेकिन अंजलि ने आर्थिकी को अपनी पढ़ाई में बाधा नही बनने दिया ,अपनी पढ़ाई के खर्चे के लिए अंजली ने खुद घाट बाजार में स्थित आइडिया सिम डिस्टिब्यूट सेंटर में 3000 रुपये महीने की सैलरी में काम किया। फीस के पैसे जुटाकर गोपेश्वर पीजी कालेज में बीए प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया। जिसके बाद अंजली ने पीछे मुड़कर नही देखा। इस बीच अंजली का छोटा भाई भवान सिंह भी भारतीय नौ सेना में भर्ती हो गया,जिसके बाद अंजली ने अपनी पढ़ाई जारी रखी ,और बुलंदियों को छूकर आज ये मुकाम हासिल किया है। अंजलि को गोल्ड मैडल मिलने से जंहा एक और अंजली के मायके सुंग गांव में खुशी का माहौल है वंही ससुराल लुंन्तरा गांव में भी लोगो का अंजली के घर मे बधाई देने वाले लोगो का तांता लगा है। अंजली ने अंग्रेजी जैसे विषय मे गोल्ड मैडल हासिल कर चमोली और अपने ब्लॉक का नाम रोशन तो किया ही है लेकिन यह भी साबित कर दिखाया कि अगर कुछ करने का जज्बा हो तो गरीबी बाधा नही बन सकती।
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