उत्तराखंड: दुखद हादसे में अनाथ हुए दो मासूम, पिता के बाद उठी मां की अर्थी..मदद की गुहार
नियति का क्रूर मज़ाक इसे न कहें तो किसे कहें...एक हादसे ने इस परिवार की उम्मीदें धूमिल कर दी। बचे हैं तो सिर्फ दो मासूम
Mar 3 2020 3:54PM, Writer:डॉ मोहन भुलानी
एक हंसता खेलता परिवार अचानक तबाह हो गया। एक हादसे के बाद एक परिवार की खुशियों पर ग्रहण लग गया। आज ना पिता हैं, न मां है..बचे हैं तो सिर्फ ये दो बच्चे। खबर कोपढ़ने से पहले हमारी अपील है कि इन बच्चों के लिए दुआ करें। खबर को शेयर जरूर करें ताकि जिला स्तर पर इनकी मदद की जा सके। खबर पिथौरागढ़ की है...आज से चौबीस दिन पहले महेंद्र कुमार अपने साथी के साथ उसकी कार में पिथौरागढ़ आया। पिथौरागढ़ से देर शाम जब वो कार से वापस बलुवाकोट जा रहा था, तो सतगढ़ के पास कार खाई में गिर गई। दोनों के घर नहीं लौटने पर परिजनों द्वारा जब इसकी सूचना पुलिस को दी तो पुलिस ने हाईवे पर सर्च अभियान चलाया। सतगढ़ के पास कार 600 मीटर गहरी खाई में मिली, महेंद्र कुमार और उसके साथ के दूसरे व्यक्ति के शव मिले। इस सूचना से मृतक महेंद्र की पत्नी जानकी को गहरा सदमा पहुंचा। जानकी की हालत खराब होने पर उसके देवर सहित गांव लोग उसे तीन दिन पूर्व जिला अस्पताल पिथौरागढ़ लाए। जहां चिकित्सकों ने उसका चेकअप करने के बाद उसे हायर सेंटर हल्द्वानी के लिए संस्तुति की। गरीब के पास हल्द्वानी जाने के लिए पैसा नहीं होने से सब कुछ नियति पर निर्भर हो गया। पति के वियोग से सदमे में पहुंची जानकी 29 वर्ष ने भी शनिवार रात अस्पताल में दम तोड़ दिया। एक माह के भीतर माता और पिता को खो चुके दोनों बच्चे गुमसुम है। क्षेत्र से समाज सेवी पूर्व सैनिक चंचल सिंह ऐरी ने जिलाधिकारी से दोनों अनाथ बच्चों के भविष्य को देखते हुए बच्चों की पढ़ाई और उनकी परवरिश के लिए मदद की गुहार लगाई है।
पत्रकार डॉ मोहन भुलानी के फेसबुक पोस्ट से साभार
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