image: Ajay dhaundiyal blog on gairsain

उत्तराखंड और गैरसैंण, असली चुनौती तो अब है...

गैरसैंण को लेकर अब तक तो सिर्फ कुछ सवाल ही उठते थे, उन सवालों ने अब और अधिक सवालों को जन्म दे दिया है..पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार अजय ढौंडियाल का ब्लॉग
Mar 6 2020 9:57AM, Writer:अजय ढौंडियाल

बीस साल बाद ही सही, लेकिन गैरसैंण पर उत्तराखंड की राजधानी के नाम पर एक ठप्पा तो लगा। यह सही है कि गैरसैंण को हमेशा से (राज्य गठन के पूर्व से ही) उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाए जाने की मांग रही है। हम ग्रीष्मकालीन राजधानी को भी इस ओर एक बड़ा कदम मान सकते हैं और राज्य की जनता इससे कहीं हद तक संतुष्ट भी हो सकती है। लेकिन गैरसैंण को लेकर अब तक तो सिर्फ कुछ सवाल ही उठते थे, उन सवालों ने अब और अधिक सवालों को जन्म दे दिया है और इसके साथ चुनौतियां भी उतनी ही पैदा हो गई हैं। इन चुनौतियों को त्रिंवेंद्र सिंह रावत ने खुद के लिए ही खड़ा किया है और इसे सकारात्मक रूप में देखा जाना चाहिए।
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने का पूरा श्रेय अकेले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को जाता है, इसलिए गैरसैंण को लेकर हर चुनौती का सामना भी उन्हें ही व्यक्तिगत रूप से करना होगा, क्योंकि अभी उनके वर्तमान शासनकाल के दो साल शेष हैं। इन दो सालों में गैरसैंण को लेकर बहुत कुछ करके जनता के सामने रखना होगा ताकि गैरसैंण के नाम पर हमेशा ठगा महसूस करने वाली जनता का भरोसा सच में जीता जा सके और 2022 का रण खुलकर लड़ा जा सके।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सामने सबसे पहली चुनौती ये है कि क्या गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी के तौर पर तैयार हो चुका है जिसके बारे में वे घोषणा से पहले कहते रहे हैं? क्या सच में वहां वो सारा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर लिया गया है जो एक राजधानी के लिए होना चाहिए? अगर नहीं, तो ये काम कब तक हो जाएगा?
गैरसैंण में किस स्तर के अधिकारियों को बैठाया जाना है? क्या वहां कुछ ब्यूरोक्रेट्स नियमित तौर पर बैठेंगे या आंशिक तौर पर? यह तय करके भी पारदर्शी तरीके से जनता को बताया जाना आवश्यक है।
मंत्रियों और विधायकों का गैरसैंण को लेकर क्या शेड्यूल निश्चित किया गया है अथवा किया जाना प्रस्तावित है? खुद मुख्यमंत्री महीने में कितने दिन या कब गैरसैंण में बैठेंगे? गैरसैंण में अधिकारियों, विधायकों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री का जनता मिलन शेड्यूल क्या होगा?

ये तमाम वो सवाल हैं जो गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की घोषणा के साथ ही उपज चुके हैं। इनके जवाब तो मुख्यमंत्री को तुरंत तलाशकर सामने रखने होंगे।बाकी सबकुछ इसके बाद है।
विपक्ष तो खिसियाएगा ही
ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा के तुरंत बाद उत्तराखंडवासी कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत की प्रतिक्रिया सोशल मीडिया के जरिए सबसे पहले सामने आई। उन्होंने मौके पर चौका मारने की कोशिश की और कह डाला कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो गैरसैंण को स्थानी राजधानी बनाने की घोषणा करेंगे। लेकिन वे शायद ये भूल गए कि उनके पास भी तो मौका था। तब उन्होंने छक्का क्यों नहीं मार डाला? विपक्ष के नेता भले ही छोटे से राज्य की दो दो राजधानियों की मुखालफत कर रहे हैं, लेकिन उन्हें ये जरूर मंथन करना चाहिए कि उनके दल की सरकार ने गैरसैंण के लिए ऐसा कुछ नहीं किया जिससे जनता उन पर भरोसा करे।
त्रिवेंद्र सिंह रावत की घोषणा पर विपक्ष का खिसियाना स्वाभाविक है। क्योंकि 2022 से ऐन पहले राज्य के सबसे बड़े जनभावनात्मक मुद्दे का क्रेडिट बीजेपी ने ले लिया है। अब भले ही विपक्ष चिल्लाता रहे कि वो सत्ता में आने पर गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाएगा, तो उसकी बात पर भरोसा वर्तमान हालात में भला कौन करेगा?
आंदोलनकारी पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं
राज्य आंदोलनकारी गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा से पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हैं। तमाम आंदोलनकारियों ने फेसबुक पर इसका इजहार किया है। लेकिन आंशिक संतुष्टि उन्हें मिली लगती है। कुछ आंदोलनकारियों ने गैरसैंण के नाम पर आयोजित जश्नों में भी हिस्सा लिया है।
कुछ भी हो, गैरसैंण से संबंधित घोषणा एक उम्मीद की किरण है। इससे पहाड़ की ओर एक कदम तो बढ़ा है। इसे स्थानी राजधानी की एक नींव के रूप में भी देखा जा सकता है और उम्मीद की जा सकती है कि इस नींव को जल्दी मजबूत करने का काम त्रिवेंद्र सिंह रावत कर दिखाएंगे। इसका रिजल्ट उन्हें 2022 की पूरक परीक्षा में मिलेगा।


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home