image: Inspirational story about kashmiri devi of Haldwani

पहाड़ की इस मां के संघर्ष को सलाम : पति की मौत, घर जल गया..आज तीनों बेटे अफसर हैं

कश्मीरी देवी के पति डाक विभाग में अफसर थे, लेकिन शादी के 8 साल बाद उनकी एक हादसे में मौत हो गई। पति की मौत के बाद कश्मीरी देवी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर काम करने लगीं, आज उनके तीनों बेटे अफसर हैं...
Mar 9 2020 1:09PM, Writer:Komal

महिला सशक्तिकरण दिवस...महिलाओं के सम्मान के लिए, समाज में उनके योगदान को याद करने के लिए ये एक दिन काफी नहीं है। क्योंकि एक मां अपना हर दिन, अपना हर सपना बच्चों की खुशी पर न्यौछावर कर देती है। एक मां का ऋण ना तो परिवार कभी चुका सकता है और ना ही समाज...आज हम आपके साथ एक ऐसी मां की कहानी साझा करेंगे, जिसने अपने बच्चों को अफसर बनाने के लिए पूरी जिंदगी दांव पर लगा दी। जीवन में तमाम मुश्किलें देखीं पर कभी टूटी नहीं, हारी नहीं और आखिरकार अपने बेटों को अफसर बनाकर ही दम लिया। इस मां का नाम है कश्मीरी देवी। वो हल्द्वानी में रहती हैं। साल 1976 में उनका विवाह प्रह्लाद सिंह के साथ हुआ, जो कि डाक विभाग में अफसर थे। शादी के 8 साल बाद ही कश्मीरी देवी के पति का देहांत हो गया। उनकी पूरी दुनिया उजड़ गई, पर कश्मीरी देवी ने किसी तरह खुद को संभाला और डाक विभाग में बतौर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी काम करने लगीं। पति की मौत के वक्त बड़ा बेटा सिर्फ छह साल का था, जबकि छोटा बेटा 1 साल का। पति की मौत होते ही ससुरालवाले भी बैरी बन गए। उन्होंने कश्मीरी देवी की जमीन हथियाने के लिए उनका घर जला दिया। शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगे। उनकी नौकरी में भी अड़चनें लगाईं।

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खैर 10 साल के संघर्ष के बाद कश्मीरी देवी डाक विभाग में चतुर्थ श्रेणी में नौकरी पा गईं। बाद में उन्होंने चारों बेटों को सेंट्रल स्कूल में दाखिला दिलाया। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए जमीन तक बेच दी। पर कश्मीरी देवी के दुखों का अंत यहीं नहीं हुआ। साल 2002 में परीक्षा में कम नंबर आने पर उनके सबसे छोटे बेटे मनजीत सिंह ने खुदकुशी कर ली। कश्मीरी देवी एक बार फिर टूट गईं, लेकिन उन्होंने मन को मजबूत किया और तीनों बेटों का हौसला भी बढ़ाया। आज उनका बड़ा बेटा रविराज खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में मार्केटिंग इंस्पेक्टर है। दूसरा बेटा विजयपाल रेलवे में अफसर है। तीसरा बेटा लोकजीत सिंह देहरादून में एसपी क्राइम के पद पर कार्यरत है। साल 2004 में कश्मीरी देवी रिटायर हो गईं। कश्मीरी देवी की कहानी उन तमाम महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण सरीखी हैं, जो मुश्किल दौर से गुजर रही हैं। कश्मीरी देवी कहती हैं कि जीवन बहुत लंबा है, इसलिए कठिन परिस्थिति में भी धैर्य बनाए रखें। हालात कैसे भी हों, माता-पिता को किसी भी दशा में बच्चों की शिक्षा रोकनी नहीं चाहिए। इरादे मजबूत हों तो मंजिल जरूर मिलेगी।


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