उत्तराखंड में बेरोजगारी दर ने पकड़ा टॉप गियर, लेटेस्ट सर्वे में हुआ बहुत बड़ा खुलासा
एनएसओ के सर्वे के मुताबिक प्रदेश में बेरोजगारी दर Unemployment rate Uttarakhand 14.2 फीसदी तक जा पहुंची है, जो कि साल 2003-04 की तुलना में 7 गुना ज्यादा है...
Mar 15 2020 7:26PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड पलायन से जूझ रहा है। पलायन की सबसे बड़ी वजह है रोजगार की कमी। इस कमी को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार अपनी तरफ से हर कोशिश कर रही है। प्रदेश में उद्योंगों को बढ़ावा मिल रहा है, अलग-अलग विभागों में भर्तियां निकाली जा रही हैं, लेकिन इसके बावजूद बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। प्रदेश में बेरोजगारी की दर Unemployment rate Uttarakhand 14.2 आंकी गई है, जो कि साल 2003-04 की तुलना में 7 गुना ज्यादा है, ये खुलासा एनएसओ के सर्वे में हुआ। केंद्रीय श्रम बल सर्वेक्षण ने जो आंकड़े जारी किए हैं, वो प्रदेश के नियोजन विभाग की सर्वे रिपोर्ट से करीब 3 गुना ज्यादा हैं। साल 2017 में प्रदेश के नियोजन विभाग ने मानव विकास रिपोर्ट तैयार करते समय प्रदेश में बेरोजगारी को लेकर सर्वे किया था। ये रिपोर्ट साल 2019 में जारी हुई। जिसके मुताबिक उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर 4.2 बताई गई थी। 2003-04 में यह दर मात्र 2.1 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि प्रदेश में किसी न किसी तरह के रोजगार में लगे लोगों की संख्या (वर्क पार्टिसिपेशन ) करीब 45 प्रतिशत है।
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अब एनएसओ के श्रम बल सर्वे ने साफ कर दिया है कि प्रदेश में बेरोजगारी Unemployment rate Uttarakhand इससे कई गुना ज्यादा है। एनएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2019 में प्रदेश में बेरोजगारी दर 14.2 पाई गई। कुल काम करने वाले लोगों का प्रतिशत भी मात्र 23 पाया गया। इस हिसाब से प्रदेश में साल 2003-04 की तुलना में बेरोजगारी सात गुना बढ़ी है। इस रिपोर्ट में बेरोजगारी के कारण भी सामने आए हैं। सर्वे में पता चला कि प्रदेश में खेती-किसानी कम हो रही है। कृषि से रोजगार हासिल करने वालों का प्रतिशत महज 5.98 प्रतिशत है, जबकि ये आंकड़ा हिमाचल में 7.15 है। सबसे ज्यादा रोजगार सेवा क्षेत्र के जरिए मिल रहा है। उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र से 63.18 और उद्योगों से 30.85 फीसदी रोजगार मिल रहा है। प्रदेश में बेरोजगारी से पलायन बढ़ा है। प्रदेश सरकार बेरोजगारी खत्म करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। वर्तमान वर्ष को रोजगार वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है। सरकारी विभागों में 56 हजार खाली पदों में से 28 हजार पदों पर तैनाती के प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मुद्रा योजना के तहत दो लाख से ज्यादा लोगों को 2877 करोड़ का कर्ज दिया गया, ताकि वो अपना काम शुरू कर सकें। राज्य में 1.24 लाख करोड़ का नया पूंजी निवेश भी हुआ है, जिससे करीब तीन लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।