पहाड़ की बेमिसाल शिक्षिका..लॉकडाउन में हजारों गरीबों की अन्नदाता बनी ये केमिस्ट्री लेक्चरार
कुमारी रजनी ने अब तक 1000 से अधिक गरीबों और जरूरतमंदों का पेट भरने का नेक काम किया है। पेशे से केमेस्ट्री की प्रवक्ता कुमारी रजनी ने समाज के सामने इंसानियत की मिसाल पेश की है। देखिए वीडियो
Apr 8 2020 12:06PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
इन मुश्किल और नाजुक परिस्थितियों में भी लोगों के बीच इंसानियत जिंदा है। इस समय पूरे देश मे कोरोना के बादल छाए हुए हैं और ऐसी गम्भीर और मुश्किल परिस्थिति में भी लोगों के बीच इंसानियत कायम है। ऐसे लोग अब भी हैं जो अपने तन-मन-धन से लोगों की मदद करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। इस बात से तो हम सब वाकिफ ही होंगे कि लॉकडाउन का सबसे अधिक असर उन लोगों पर पड़ा है जो गरीब हैं, या जिनकी आय रोजमर्रा के कामों से होती थी। ऐसे लोगों की मदद करना उन लोगों की नैतिक जिम्मेदारी है जो सक्षम हैं। ऐसी ही एक शिक्षिका के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। कोरोना वायरस को देखते हुए पिथौरागढ़, बेरीनाग निवासी कुमारी रजनी ने अबतक एक हजार लोगों की मदद करके उदाहरण पेश किया है। पेशे से शिक्षिका रजनी धारचुला में रसायन विज्ञान ( केमेस्ट्री ) की प्रवक्ता हैं और वे अपनी निजी संसाधनों से जरूरतमंद लोगों की मदद कर रही है। आगे देखिए वीडियो
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कुमारी रजनी धारचुला में प्रवक्ता हैं और बच्चों को पढ़ाने का नेक काम करती हैं। कोरोना वायरस से उतपन्न हुई मुश्किल परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने यह ठाना कि वह जरूरतमंद लोगों के लिए मदद का हाथ बनेंगी। इसी लक्ष्य के साथ उन्होंने मजदूर, गरीबों और बेसहाराओं को राशन देकर उदाहरण पेश किया है। दो वक्त की रोटी के मोहताज हो चुके पिथौरागढ़ जिले में हजारों नेपाल और बिहार के स्थानीय मजदूर हैं। ये लोग अपने लिए रोटी का बंदोबस्त नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि इनसे इनका रोजगार छिन चुका है। ऐसे ही लोगों के लिए अन्नदाता बनकर सामने आई हैं रजनी देवी। वे लॉकडाउन के दौरान धारचुला, भट्टीगांव, बेरीनाग और छोलोडी समेत कई क्षेत्रों में गरीब परिवारों को चावल, आटा, दाल और दैनिक जीवन की अन्य वस्तुएं मुहैय्या करा रही हैं। आगे देखिए वीडियो
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कुमारी रजनी का कहना है कि इस मुश्किल घड़ी में गरीब लोगों के पास खाने-पीने के लिए कुछ भी नहीं है, ऐसे में उन लोगों को आगे आना चाहिए जो सक्षम हैं और दूसरों की मदद कर सकते हैं। रजनी देवी ने 1000 से अधिक लोगों का पेट अपने निजी संसाधनों से भरा है जो कि प्रशंसनीय है और काबिल-ए-तारीफ है। उनकी इस सोच और जज़्बे को सलाम।