उत्तराखंड: लॉकडाउन में पहाड़ की महिलाओं को मिला रोजगार, 10 रुपये के मास्क से अच्छी कमाई
मास्क की कीमत सिर्फ 10 रुपये है और 40 हजार मास्क बनाने का लक्ष्य तैयार किया गया है। पढ़िए ये अच्छी खबर
Apr 12 2020 12:44PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
कोरोना का खौफ है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा। दिन प्रतिदिन इसके बढ़ते हुए केस हमारी आंखों के सामने आ रहे हैं। उत्तराखंड में लॉकडाउन बढ़ाया जा चुका है। इसी संकट की परिस्थितियों में पहाड़ी महिलाएं ढाल बनकर देवभूमि के लोगों के साथ खड़ी हैं। ज़रूरत पड़ने पर वे घरों से बाहर निकल कर भी लोगों की सेवा कर रही हैं। उत्तराखंड की कुछ महिलाओं ने एक बार फिर अपनी मेहनत और अपनी लगन का उदाहरण समाज के सामने पेश किया है। लॉक डाउन में पहाड़ की महिलाओं ने मास्क बनाने का काम शुरू किया है। जैसा कि हम सब जानते हैं इस कठिन समय में मास्क जैसी चीज कितनी उपयोगी हो सकती है। आज के समय में वह एक जरूरत बन चुकी है। लॉक डाउन की वजह से बाजारों में मास्क की उपलब्धता बेहद कम हो गई है और डिमांड में भारी इजाफा हुआ है।
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इस वजह से टिहरी जिले के देवप्रयाग, जाखणीधार, घनसाली और नरेंद्र नगर में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं आम जनता के लिए मास्क तैयार कर रही है और स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही हैं। क्या आप जानते हैं मास्क की कीमत कितनी है? सिर्फ 10 रुपये..तैयार किए गए मास्कों को नगर और ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचाया जा रहा है और अब तक यह महिलाएं 24 हजार से ज्यादा मास्क बना चुकी हैं। लॉकडाउन के चलते वाहनों की आवाजाही पर रोक लगने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में मास्क मिलने बेहद मुश्किल हो गए थे, लेकिन इस व्यवस्था से ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से मास्क उपलब्ध हो रहे हैं। जिलाधिकारी डॉ. वी षणमुगम बताते हैं कि स्वयं सहायता समूह के माध्यम से 40000 मास्क तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
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अगर उन्हें सहयोग की जरूरत पड़ी तो जिला प्रशासन भी उनके साथ खड़ा है। मास्क के वितरण के लिए जिला आपदा प्रबंधन केंद्र, नगर पालिका, जिला अस्पताल और नगर पंचायतें भी अपना अपना सहयोग देंगे। खंड विकास अधिकारी सोनम गुप्ता ने इन महिलाओं के जज्बे और सोच की प्रशंसा की है। वहीं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कहती हैं कि मास्क की कमी को देखते हुए उन्होंने कुल 40 हज़ार मास्क बनाने का टारगेट रखा है। मास्क की कीमत मात्र दस रुपये रखी गयी है। बता दें कि यह मास्क दोबारा धोकर इस्तेमाल कर सकते हैं। टिहरी की स्वयं सहायता समूह की औरतों ने साबित कर दिया कि देवभूमि पर जब-जब संकट आएगा तब-तब महिलाएं एक साथ मिलकर उस समस्या से लड़ने में अपना पूर्ण योगदान देंगी।