उत्तराखंड: लॉकडाउन में पहाड़ लौटे 60 हजार लोग, अब यहीं रुक जाना चाहते हैं
लॉकडाउन के दौरान शहरों से गांव की ओर रिवर्स पलायन (Uttarakhand Lockdown Reverse Migration) बड़ी तेजी हुआ। कोरोना के बाद तकरीबन 59,360 प्रवासियों ने अपने गांव की ओर रिवर्स पलायन किया है।
Apr 26 2020 3:21PM, Writer:अनुष्का
इस लॉकडाउन से भले ही किसी को फायदा हुआ हो या ना हुआ हो मगर उत्तराखंड के सूने पड़े हुए गांवों की चहल-पहल अब वापस लौट आई है। यह लॉकडाउन पहाड़ों पर वरदान बनकर आया है। उत्तराखंड की सबसे बड़ी समस्या इस समय पलायन है। लोगों ने रोजगार के कारण गांव को छोड़कर शहर की ओर रुख कर लिया है और गांव सूने पड़े हुए हैं। मगर लॉकडाउन के बाद शहरों से कई प्रवासियों ने गांव की और आकर रिवर्स पलायन किया है।आपको बता दें कि लॉकडाउन के बाद उत्तराखंड के 10 जिलों में तकरीबन 59,360 लोग अपने गांव की ओर लौट चुके हैं। सबसे ज्यादा प्रवासी पौड़ी, टिहरी,चंपावत,अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ के लोगों में लौटे हैं। इसमें 30 फ़ीसदी लोग ऐसे हैं जिन्होंने उत्तराखंड के शहरों में ही प्रवास किया हुआ था। 65 फ़ीसदी ऐसे लोग हैं जिन्होंने देश के विभिन्न राज्य में प्रवास किया था और 5 फ़ीसदी विदेश से अपने गांव लौटे हैं।
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अगर हम राज्य पलायन आयोग के आंकड़ों की बात करें तो इनमें से 30 फ़ीसदी लोगों ने लॉक डाउन के बाद और स्थिति सामान्य होने के बाद भी अपने गांव में रुकने की इच्छा जताई है जो कि एक अच्छी खबर है। आपको बता दें कि रिवर्स माइग्रेशन त्रिवेंद्र सिंह रावत की हमेशा प्राथमिकता रही है और लॉकडॉन के दौरान ऐसा संभव हो पा रहा है जिसके बाद मुख्यमंत्री से आशा की जा रही है कि वह गांव में रुकने वाले सभी प्रवासियों के लिए रोजगार की व्यवस्था करेंगे। पलायन आयोग ने गांव में रुकने के इच्छुक लोगों के लिए आर्थिक पुनर्वास को ध्यान में रखते हुए उनके लिए कुछ कदम उठाने के लिए सरकार को सुझाव दिया है। पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ एसएस नेगी ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात करी और उनको बताया कि रिवर्स पलायन के बाद प्रवासियों के आर्थिक पुनर्वास के लिए अभियान चलाने की बहुत ज्यादा जरूरत है।
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ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है कि लॉक डाउन के बाद रिवर्स माइग्रेशन करने वाले लोगों की संख्या और भी बढ़ सकती है। इसके लिए एक प्रोफॉर्मा तैयार किया गया है जिसमें प्रवासियों की दक्षता आदि का विवरण लिया जाएगा। इसमें तकरीबन 30,000 से अधिक आवेदन आ चुके हैं। भविष्य में पलायन को रोकने के लिए बनाई जाने वाली योजनाओं के लिए यह जानकारी बेहद जरूरी साबित है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उत्पन्न हो इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की बनती है। बेहतर सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध करा के गांव में रिवर्स पलायन कर चुके लोगों को रोका जा सकता है। पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएसनेगी का भी यही मानना है। उनके हिसाब से पलायन को तभी रोका जा सकता है जब लोगों के लिए रोजगार हो, आर्थिक पुनर्वास हो। इसके लिए एक योजना बनाने की जरूरत है जिसपर उत्तराखंड सरकार और पलायन आयोग काम कर रहा है।