पहाड़ के संजय शर्मा दरमोड़ा का PM मोदी के नाम संदेश..शराब की दुकानें खुलने पर उठाए सवाल..पढ़िए
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के समाजसेवी और हाईकोर्ट में अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा ने पीएम मोदी के नाम एक संदेश दिया है। शराब की दुकानें खुलने को ेकर उन्होंने कई सवाल उठाए हैं...आप भी पढ़िए
May 6 2020 9:00PM, Writer:कोमल नेगी
कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है। सरकार भी बार-बार लोगों से घरों में रहने की अपील करती रही, लेकिन शराब की दुकानें खुली तो लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना भूल गए। अफरा-तफरी के बीच कई जगह पुलिस को व्यवस्था बनाने में मशक्कत करनी पड़ी। इन दिनों करोड़ों की शराब गटकने की खबरें सुर्खियों में है, लेकिन शराब की दुकानें खुलने के बाद हम जिस बड़े संकट से गुजर रहे हैं, उस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। ऐसे में उत्तराखंड के समाजसेवी और वरिष्ठ अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा ने पीएम मोदी के नाम एक संदेश दिया है। रुद्रप्रयाग के रहने वाले संजय शर्मा दरमोड़ा दिल्ली हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं। समाजसेवा के लिए जाने जाते हैं। लॉकडाउन के दौरान वो लगातार पहाड़वासियों की मदद में जुटे हुए हैं। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान शराब की दुकानें खोलने के फैसले पर अफसोस जताया। आगे पढ़िए
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संजय शर्मा दरमोड़ा कहते हैं कि तब्लीगी जमात से लौटे लोग कोरोना संक्रमित केसेज का आंकड़ा ढाई सौ से पांच हजार पर ले गए, लेकिन शराब की दुकानों पर भीड़ लगाने वाले लोग इस आंकड़े को कहीं पांच लाख पार न ले जाएं। रही बात रेवेन्यू जनरेशन की तो इसके बहुत तरीके हैं। उनका मानना है कि उदाहरण के लिए आप सरकारी कर्मचारियों को ही देख लें। लॉकडाउन के चलते मजदूरी या प्राइवेट नौकरी करने वाले लोग घर पर बैठे हैं। स्वरोजगार करने वालों का काम छिन गया। वहीं सरकारी नौकरी करने वाले लोग भी घर पर बैठे हैं, लेकिन उन्हें पूरी तनख्वाह मिल रही है। कुछ टाइम बाद दूसरे सरकारी अलाउंस भी मिलेंगे। ऐसे में सरकार ये कर सकती थी कि लॉकडाउन के दौरान घर बैठे सभी सरकारी-कर्मचारियों का वेतन निर्धारित करती। इससे सरकार को अरबों रूपये बचते। इस पैसे से गरीब-जरूरतमंदों की मदद की जा सकती थी, जो कि शराब के ठेके खोलने से नहीं हो सकता। हम हर दिन आंकड़ें देख रहे हैं कि करोड़ों की शराब बिक रही है, लेकिन सरकार को इससे ज्यादा फायदा नहीं हो रहा। सरकार तो सिर्फ जीएसटी ले रही है, जो कि बहुत कम है। आगे भी पढ़िए सरकार शराब बिक्री के अलावा दूसरे कई तरीकों से रेवेन्यू जनरेट कर सकती थी, लेकिन अफसोस कि इन विकल्पों के बारे में किसी ने सोचा ही नहीं। लॉकडाउन के चलते मजदूरी-प्राइवेट जॉब करने वाले लोग भूखे मर रहे हैं, दूसरी तरफ सरकारी जॉब करने वालों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ रहा। ऐसा नहीं होना चाहिए।
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समाजसेवी संजय शर्मा दरमोड़ा ने सरकार से शराब की खरीद के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की। उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर दिल्ली में अचानक ठेके खुले और शराब के दामों में 70 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। ये बिल्कुल किसी की मजबूरी का फायदा उठाने जैसा है। किसी की मजबूरी का फायदा उठाकर रेवेन्यू जनरेट करने की कोशिश हो रही है। उनका कहना है कि ये शराब है..कोई जीवन रक्षक वैक्सीन नहीं। आखिर में संजय शर्मा दरमोड़ा ने पीएम मोदी से अपील की है कि तुरंत प्रभाव से शराब की दुकानें बंद हों। उन्होंने कहा कि शराब के ठेकों में लगी भीड़ की वजह से अगर कोरोना के मामले बढ़े, तो निश्चित तौर पर भारत की छवि को नुकसान होगा। पीएम मोदी और भारत की छवि को हाल ही में दुनियाभर ने सराहा है। संजय शर्मा दरमोड़ा का कहना है कि अगर शराब के ठेके खुलने से कोरोना के मामले बढ़े तो दुनियाभर में निंदा होगी। उन्होंने कहा कि मीडिया में जो तस्वीरें और वीडियोज आए हैं, उनके जरिए लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, इनका चेकअप कराया जाना चाहिए, ताकि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। रेवेन्यू जनरेट करने के लिए शराब की दुकानें खोलना एकमात्र विकल्प नहीं है, और भी कई तरीके हैं रेवेन्यू जनरेट करने के, सरकार को उस तरफ भी ध्यान देना चाहिए।