कोरोनावायरस के बीच बदरीनाथ से मिला शुभ संकेत, कई वर्षों बाद दिखा ये नज़ारा..देखिए
बदरीनाथ के कपाट खुलने के साथ ही वहां उपस्थित पुरोहित एक ऐसे अनोखे दृश्य के साक्षी बने जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। ऐसा चमत्कार कई वर्षों में एक बार होता है। देखिए वीडियो
May 16 2020 5:35PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
अपनी मान्यताओं, अपने पूजा-पाठ के कारण आज भी यह उत्तराखंड धरती खुशहाल है। धार्मिक लिहाज से देखा जाए तो देवभूमि को कई देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त है। अब इसे लोगों की अपार श्रद्धा कहें, प्रकृति का वरदान या देवताओं का आशीर्वाद, मगर साक्षात देवों का आवास कहलाने वाली इस भूमि पर आए दिन चमत्कार होते रहते हैं। इस बार बदरीनाथ में एक ऐसा चमत्कार हुआ है जिसको पढ़कर आप भी दंग रह जाएंगे। यह तो आपको पता ही होगा कि पूरे विधि विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ परम्परागत तरीके से बीते शुक्रवार तड़के साढ़े 4 बजे बदरीनाथ के कपाट खोल दिए गए हैं। फूलों से सजा हुआ भगवान बदरी विशाल का आवास किसी स्वर्ग से कम नहीं लग रहा है। वहीं इस बार बदरीनाथ धाम में एक अनोखी चीज घटित हुई है। धाम में उपस्थित सभी लोग इसको साक्षात भगवान का चमत्कार मान रहे हैं। वहीं तीर्थ पुरोहित इसे राष्ट्र के लिहाज से एक शुभ सन्देश मान रहे हैं। आगे देखिए वीडियो
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बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चन्द्र उनियाल ने बताया है कि हर वर्ष बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के दिन भगवान बदरी नारायण की प्रतिमा को घी का लेप लगाए ऊन के कंबल यानी घृत कंबल से ढक दिया जाता है। अगले वर्ष धाम के कपाट खुलने पर प्रतिमा के ऊपर घी अगर मौजूद हो तो उसे एक शुभ संकेत माना जाता है। कपाट खोलने पर भगवान की प्रतिमा पर इस बार घी मौजूद था। घृत कंबल से भगवान की प्रतिमा ढकने की परंपरा सालों-साल से चलती आ रही है। मगर ऐसा चमत्कार हर बार नहीं होता। चमत्कार इसलिए क्योंकि बदरीनाथ में तापमान काफी कम रहता है जिस कारण वहां खूब बर्फबारी होती है। और इस साल तो पहाड़ों पर खूब जम कर बर्फबारी हो रही है, उसके बाद भी भगवान की प्रतिमा के ऊपर घी मौजूद था, यह किसी चमत्कार से कम नहीं। बदरीनाथ धाम के अंदर उपस्थित सभी लोग इस घटना के साक्षी बने। यह देख कर तो वह भी अचंभित रह गए क्योंकि ऐसा चमत्कार कई सालों में एक बार होता है। इस बार बदरीनाथ में खूब बर्फबारी होने के बाद भी प्रतिमा पर घी मौजूद था। राष्ट्र के लिहाज से तीर्थ पुरोहित इसे एक शुभ संकेत मान रहे हैं।