उत्तराखंड: कोरोना रिपोर्ट का इंतजार..सड़ता रहा बेटी का शव..मजदूर पिता से ये कैसा मजाक?
3 दिनों तक इकलौती बेटी का शव मोर्चरी में सड़ता रहा। लाचार मां घर पर बेटी के शव का इंतजार करते हुए बिलखती रही। यह प्रशासन की आखिर कैसी व्यवस्था है?
May 29 2020 2:40PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
आज जो खबर राज्य समीक्षा आपके समक्ष ले कर आया है वो दर्शाती है है कि सरकार के द्वारा किए गए बड़े-बड़े वायदों के पीछे, बड़ी-बड़ी बातों के पीछे आखिर असलियत मे हो क्या रहा है। इस खबर में मजबूरी है, गरीबी है, लाचारी है और है प्रशासन की लापरवाही। चलिए सीधा आपको खबर की ओर लेकर चलते हैं। खबर रुद्रपुर की है। वही सरकार ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा था कि कोरोना से लड़ने के लिए उत्तराखंड पूरी तरह से तैयार है। एक ओर ये बयान है वहीं दूसरी ओर एक गरीब लड़की है जिसकी सीने में दर्द की वजह से मौत हो गई और तीन दिन तक उसका शव मोर्चरी में केवल इसलिए सड़ता रहा क्योंकि उसकी कोरोना जांच की रिपोर्ट ही नहीं आई थी। तीन दिन तक गरीब परिवार अपनी इकलौती बेटी के शव को सड़ता देखता रहा, रोता रहा, उसकी कोरोना रिपोर्ट का इंतजार करता रहा ताकि बेटी का अंतिम संस्कार कर सके। मगर 3 दिनों तक बेटी की कोरोना रिपोर्ट्स नहीं आईं जिस दौरान भीषण गर्मी से युवती का शव सड़ता रहा। कोरोना की रिपोर्ट 24 घंटों के अंदर-अंदर आ जाती हैं, ऐसे में 3 दिन की लंबी अवधि? यह किसकी गलती है? प्रशासन की, सरकार की? शायद ये परिवार की ही गलती है कि वो गरीब है। इसलिए यह मामला सब जल्द भूल भी जाएंगे। आगे पढ़िए
यह भी पढ़ें - गढ़वाल: झील में मिली ITBP अफसर की लाश, 1 हफ्ते से लापता था
गदरपुर के संजयनगर महतोष 18 वर्षीय निवासी शीतल की शुक्रवार शाम 6 बजे सीने में दर्द की शिकायत हुई जिसके बाद उसकी मौत हो गई। पुलिस ने शव रूद्रपुर मोर्चरी में भेज दिया। परिजनों को कहा गया था कि शीतल का सैंपल जांच के लिए भेज दिया गया है जिसकी रिपोर्ट अगले दिन आ जाएगी। अगले दिन शव मृतका के पिता रूप सिंह समेत उसके परिजन शव को लेने पहुंचे। मगर कर्मचारियों द्वारा केवल उनको यही बोला जाता रगा कि रिपोर्ट्स नहीं आई हैं। यह सिलसिला 3 दिनों तक चला। भीषण गर्मी से मृतका का शव सड़ता रहा, बाहर लाचार पिता बेटी के शव को देख कर रोते रहे। घर पर मां इकलौती बच्ची के शव के इंतजार में बिलखती रही। जरा सोचिए कि मृतका के पिता के पास अपनी बेटी के शव पर लगने वाली बर्फ की सिल्लियों तक के लिए पैसे नहीं थे। वे मजदूरी करके परिवार का पेट पालते हैं, ऐसे में एक सिल्ली के 180 रुपए भी वह नहीं जोड़ पाए। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद सोमवार की शाम को युवती की कोरोना रिपोर्ट्स नेगेटिव आईं जिसके बाद उसका शव परिजनों को सुपुर्द किया गया और उसका अंतिम संस्कार हुआ।