उत्तराखंड में दशकों बाद दिखा शानदार नज़ारा..बुग्यालों में घूमता दिखा मोनाल का परिवार
25 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि उत्तराखंड के मिनी स्विट्जरलैंड कहे जाने वाले चोपता में मोनाल पक्षियों का झुंड विचरण करता नजर आया। सच में, मनुष्य के हस्तक्षेप के बिना प्रकृति कितनी अनोखी और खुशनुमा है।
Jun 7 2020 5:55PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
इस लॉकडाउन ने भले ही इंसानों को घर में कैद कर दिया हो मगर प्रकृति ने खुल कर अपने रंग दिखाए हैं। वातावरण में शुद्धता दर्ज हुई है और जंगली जीव-जंतुओं ने भी मनुष्यों की हलचल बंद हो जाने के बाद से खुलकर बाहर निकलना शुरू किया है। आज राज्य समीक्षा आप सभी के लिए प्रकृति के ऊपर हुए लॉकडाउन के पॉजिटिव असर से जुड़ी खबर लेकर आया है। यह तो हम सभी जानते ही हैं कि इस बार लॉकडाउन के साथ ही सर्दियों के सीजन में हुई भारी बर्फबारी ने राज्य पक्षी मोनाल को नया जीवन प्रदान किया है। रुद्रप्रयाग जनपद के मिनी स्विट्जरलैंड कहे जाने वाले चोपता, बनियाकुण्ड तुंगनाथ, चन्द्रशिला समेत अन्य बुग्याली क्षेत्रों में इन दिनों मोनाल पक्षी समूह में घूमते नजर आए हैं। यह अचंभित करने वाली बात है क्योंकि बीते ढाई दशकों यानी कि 25 सालों में यह पहला मौका है जब मोनाल को समूह में विचरण करते देखा हो। मोहाल पक्षियों को झुंड में विचरण करते देखना वाकई बेहद सुखद था। यह दर्शाता है कि मनुष्य के हस्तक्षेप के बिना प्रकृति कितनी अनोखी और खुशनुमा है। वन विभाग अधिकारियों और पक्षी विशेषज्ञों के लिए यह खबर बड़ी खुशखबरी है। उनका कहना है कि इन दिनों मोनाल पक्षियों का प्रजनन काल चल रहा है। ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो।
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इन दिनों यह समूह में विचरण करते नज़र आ रहे हैं। बता दें कि मार्च से जून इनका प्रजनन काल है जो कि इनकी वंश वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण समय होता है। समुद्रतल से 2 से 3 हजार मीटर की ऊंचाई पर पाया जाने वाला यह मोनाल पक्षियों की प्रजाति में सबसे सुंदर पक्षी है। इसके कई नाम हैं जिनमें से घुर मुनाल, रतुया, रत्काप, मन्याल, कांवा आदि मुख्य हैं। मोनाल की आखिरी गणना 2008 में की गई थी। तब उत्तराखंड राज्य में कुल 919 मोनाल पाए गए थे जिसमें सबसे अधिक केदार वन्य जीव प्रभाग ( 367 ) देखे गए थे। उसके बाद से फिर कभी इन पक्षियों की गणना नहीं की गई। ऐसे में मोनाल का यूं समूह में बाहर घूमना अच्छे संकेत दे रहा है। लॉकडाउन उनके लिए वरदान बनकर सामने आया है। मशहूर पर्यावरणविद जगत सिंह ' जंगली 'का कहना है कि इस साल मोनाल की संख्या में काफी वृद्धि की उम्मीदें हैं। यह समय उनके प्रजनन का समय है और वन विभाग के द्वारा ठोस योजना बनाई जानी चाहिए ताकि मोनाल की वंश वृद्धि हो। वहीं वरिष्ठ पक्षी विशेषज्ञ यशपाल सिंह नेगी का कहना है कि वह ढाई दशक से चोपता और तुंगनाथ में आते-जाते रहे हैं मगर 25 सालों में यह पहला मौका है कि उन्होंने चोपता में मोनाल समूह में घूमते मिले।