धन्य है पहाड़ का ये युवा..अपने दम से शुरू किया अपना काम, अब सुपरहिट है ये आइडिया
प्राज्वल और उनके दोस्त देहरादून में अपना चलता-फिरता रेस्टोरेंट चलाते हैं, जिसका नाम है अर्बन-टी। कम वक्त में ही ये रेस्टोरेंट लोगों के बीच खासा लोकप्रिय हो गया है...
Jun 21 2020 7:02PM, Writer:कोमल नेगी
कोरोना के कारण हुई आर्थिक मंदी और लॉकडाउन ने युवाओं के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। हजारों-लाखों की संख्या में युवा बेरोजगार हैं और पहाड़ लौट आए हैं। इनके सामने अपने और परिवार के भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में ये समझना जरूरी है कि अगर हम अवसर ना होने का रोना रोते रहेंगे, तो कुछ नहीं होगा, लेकिन अगर मन में ठान लिया जाए तो यकीन मानिए समस्या का हल जरूर निकलेगा। स्वरोजगार से सफलता का सफर तय करना मुश्किल नहीं होगा और इस सफर में राज्य समीक्षा हमेशा आपके साथ खड़ा है। आज हम आपको स्वरोजगार से स्वालंबन की ऐसी ही कहानी बताने जा रहे हैं जो आपको आगे बढ़ने का हौसला देगी। जिस युवा की ये कहानी है उनका नाम है प्राज्वल जोशी। प्राज्वल एक चलते-फिरते रेस्टोरेंट यानी फूड ऑन व्हील सेवा के मालिक हैं। उन्होंने अपने दो दोस्तों के साथ फूड सप्लाई का नया व्यवसाय शुरू किया है।
अपने प्रदेश में रहकर ही कुछ करना चाहते थे
प्राज्वल बीएससी ग्रेजुएट हैं। जबकि उनके साथियों में से एक ने बीटेक और दूसरे ने एचएम में डिग्री ली हुई है। ये तीनों दोस्त देहरादून में स्थित टिहरी हाउस के पास एमडीडीए केदारपुरम में अपना चलता-फिरता रेस्टोरेंट चलाते हैं, जिसका नाम है अर्बन-टी। कम वक्त में ही ये रेस्टोरेंट लोगों के बीच खासा लोकप्रिय हो गया है, लेकिन इसे स्थापित करने में प्राज्वल और उनके दोस्तों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा। प्राज्वल बताते हैं कि अक्सर लोग हमसे पूछते थे कि इतने पढ़े-लिखे होने के बावजूद सरकारी नौकरी की तैयारी क्यों नहीं की, या फिर दिल्ली-मुंबई क्यों नहीं गए। लोगों को ये समझाना बड़ा मुश्किल होता था कि हम अपने प्रदेश में रहकर ही कुछ करना चाहते थे। मैं इन सब से पूछना चाहता हूं कि क्या हम पहाड़ी सिर्फ दिल्ली-मुंबई में धक्के खाने के लिए बने हैं। हम क्यों दिल्ली-मुंबई के लोगों को अपने यहां काम पर नहीं रख सकते। आगे पढ़िए..
और बन गया 'अर्बन टी'..
इसी सोच ने हमें अर्बन-टी को स्थापित करने का हौसला दिया। सच कहें तो प्राज्वल ने बहुत पते की बात कही है। राज्य समीक्षा प्राज्वल और उनके दोस्तों की सोच को सलाम करता है। इन दिनों ये लोग लॉकडाउन गाइडलाइन के अनुसार शाम 5 बजे से शाम 7 बजे तक सेवाएं दे रहे हैं। देहरादून में रहते हैं तो एक बार इनके रेस्टोरेंट में जाइएगा जरूर। उच्च शिक्षा हासिल करने के बावजूद प्राज्वल और उनके साथियों ने इस व्यवसाय को अपनाने में कतई हिचक नहीं दिखाई। और चंद महीनों में रेस्टोरेंट के काम को न केवल रोजगार का अहम जरिया बनाया, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बन रहे हैं। आपके आस-पास भी ऐसी कई कहानियां होंगी। स्वरोजगार की ऐसी कहानियों को आप हम तक पहुंचाएं। राज्य समीक्षा इन्हें मंच देने का प्रयास करेगा, ताकि प्रदेश के दूसरे युवा भी अपने सपनों को जीने का हौसला जुटा सकें।