उत्तराखंड: अचानक उफान पर आई गौला नदी, लोगों ने भागकर बचाई जान
इस मामले में सिंचाई विभाग और वन विकास निगम की बड़ी लापरवाही सामने आई है। डैम से पानी छोड़ने से पहले मजदूरों और वाहन मालिकों को अलर्ट किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। ये लापरवाही कई लोगों की जान पर भारी पड़ सकती थी...
Jun 24 2020 4:06PM, Writer:कोमल नेगी
बरसात शुरू होने के साथ ही जगह-जगह से तबाही की तस्वीरें सामने आने लगी हैं। नदियों का जलस्तर बढ़ने की वजह से हादसे हो रहे हैं। हादसे की ऐसी ही एक दिल दहला देने वाली तस्वीर हल्द्वानी से भी सामने आई। जहां गौला नदी का जलस्तर बढ़ने से छह से ज्यादा डंपर पानी के बहाव में बह गए। ये डंपर खनन कार्य में लगे थे। मौके पर मौजूद मजदूरों और वाहन स्वामियों ने किसी तरह वहां से भागकर अपनी जान बचाई। इस मामले में सिंचाई विभाग और वन विकास निगम की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है। दरअसल पहाड़ में हुई बारिश की वजह से गौला नदी में जलस्तर अचानक बढ़ गया। जिसके चलते गौला बैराज डैम से नदी में पानी को डिस्चार्ज करना पड़ा। नियमानुसार ऐसा करने से पहले मजदूरों और वाहन स्वामियों को चेतावनी दी जानी चाहिए थी, लेकिन सिंचाई विभाग और वन विकास निगम के बीच आपसी सामंजस्य ना होने की वजह से ऐसा नहीं किया गया।
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नदी में अचानक से पानी छोड़ दिया गया। जिस वजह से जलस्तर बढ़ गया। अलार्म ना बजने की वजह से खनन में लगे लोग खतरे को भांप नहीं सके। जैसे ही नदी में पानी बढ़ा मौके पर भगदड़ मच गई। इस दौरान गोरापड़ाव और मोटाहल्दू गेट में खनन में लगे मजदूर किसी तरह अपनी जान बचाने में कामयाब रहे, लेकिन छह से ज्यादा डंपर नदी के तेज बहाव में बह गए। घटना को लेकर वाहन स्वामियों में अधिकारियों के प्रति भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि अधिकारियों ने बिना किसी अलार्म के डैम का गेट खोल दिया। ये लापरवाही मजदूरों और वाहन मालिकों की जान पर भारी पड़ सकती थी। वहीं सिंचाई विभाग के अधिकारी आरोपों को गलत बता रहे हैं। उनका कहना है कि अलार्म बजाने के साथ ही वन निगम को भी इस बारे में सूचना दे दी गई थी।