गढ़वाल: गांव वालों ने दिखाया सिस्टम को आईना, किसी ने नहीं सुनी तो खुद बना दी सड़क
गांव वालों के लिए सड़क "लाइफ लाइन" से कम नहीं है। ऐसे में उन्होंने खुद ही सड़क बनाने की ठानी और महज 3 दिनों में 500 मीटर लंबी सड़क बना दी। उनकी इस मुहिम की हर कोई सराहना कर रहा है।
Jun 24 2020 5:26PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
शहरों की सुख सुविधाओं के बीच कट रही हमारी जिंदगी में सड़क कोई अधिक महत्व नहीं रखती। वो इसलिए क्योंकि यह मूलभूत जरूर है जो कि हमारे पास आसानी से उपलब्ध हैं। मगर क्या सड़क जैसी मूलभूत जरूरत उतराखंड में हर किसी के पास उपलब्ध है? यह सिस्टम की लापरवाही के ऊपर एक बड़ा सवाल है। आज भी उत्तराखंड के न जाने कितने ऐसे गांव हैं जिनके पास सड़क नहीं है। आज भी उत्तराखंड राज्य के कई ग्रामीणों के गांव तक सड़क पहुंची ही नहीं है। अब भी अगर गांव में कोई बीमार होता है या कोई महिला का प्रसव होता है तो उनको कंधों पर बैठा कर या डोली में बैठा कर दुर्गम चढ़ाई करनी पड़ती है। पौड़ी गढ़वाल स्थित यमकेश्वर के बीरकाटल गांव में आज भी लोगों के पास सड़क की सुविधा नहीं है। गांव वालों के लिए सड़क "लाइफ लाइन" से कम नहीं है। ऐसे में उन्होंने खुद ही सड़क बनाने की ठानी और महज 3 दिनों में 500 मीटर लंबी सड़क बना दी। बता दें कि पौड़ी जनपद के यमकेश्वर के बीरकाटल गांव में आज भी विकास दूर-दूर तक नहीं है। ऐसे में ग्रामीणों को अब भी 3 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने समय का सदुपयोग करते हुए सड़क बनाने का कार्य शुरू किया। चलिए ग्रामीणों की इस मुहीम के बारे में संक्षिप्त से जानते हैं।
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बीरकाट गांव के निवासियों को सड़क न होने के कारण आवाजाही में बहुत दिक्कत होती है। ऐसे में वो सरकार और सिस्टम के भरोसे नहीं बैठे रहे। उन्होंने लॉकडाउन में साझा निर्णय लेते हुए सड़क बनाने की ठानी और गांव की तस्वीर बदलने का फैसला किया। इसमें क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट ने भी उनका पूरा साथ दिया। गांव वालों ने मन पक्का किया और सड़क बनाने में जुट गए। गुरुवार को गांव के 22 ग्रामीणों ने सड़क बनाने का कार्य शुरू किया। अगले ही दिन कई और साथी उनकी इस मुहिम में जुड़ गए। देखते ही देखते महज 3 दिनों के अंदर 500 मीटर सड़क बन गई। ग्रामीणों का लक्ष्य पहले चरण में इतनी सड़क तैयार करना है जितने में दुपहिया वाहनों की आवाजाही हो सके। लक्ष्य पूरा हो जाने के बाद चार पहिया वाहनों के लिए भी ग्रामीणों द्वारा सड़क बनाई जाएगी। बीरकाटल गांव के जोशीले युवाओं ने यह सराहनीय एवं प्रशंसनीय मुहिम चला कर साबित कर दिया है कि अगर किसी के अंदर आत्मविश्वास हो, लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु दृढ़ निश्चय हो तो दुनिया में ऐसा कोई भी काम नहीं है जो असंभव है।