उत्तराखंड: पेड़ से लटकी मिली युवक की लाश, हाल ही में दिल्ली से घर लौटा था
उत्तराखंड में दूसरे शहरों से घर लौट आए प्रवासी डिप्रेशन के चलते आत्मघाती कदम उठाने तक से नहीं झिझक रहे। अगर आपके आसपास कोई अपना ऐसी किसी परिस्थिति से गुजर रहा है, तो विशेष रूप से सतर्क रहें...
Jun 30 2020 1:46PM, Writer:komal
कोरोना और लॉकडाउन के चलते बने हालात ने युवाओं में तनाव और अवसाद जबर्दस्त तरीके से बढ़ाया है। लॉकडाउन के दौरान चारदीवारी में कैद हो जाने से उनमें आर्थिक असुरक्षा और अनिश्चितिता खतरनाक स्तर तक बढ़ी है। उत्तराखंड में दूसरे शहरों से घर लौट आए प्रवासी डिप्रेशन के चलते आत्मघाती कदम उठाने तक से नहीं झिझक रहे। मामला बागेश्वर का है। जहां प्रवासी युवक ने चीड़ के पेड़ में फंदा लगाकर खुदकुशी कर दी। युवक की मौत के बाद से परिजन सदमे में हैं। वो समझ नहीं पा रहे कि आखिर युवक ने अचानक आत्मघाती कदम क्यों उठा लिया। खुदकुशी करने वाले युवक का नाम भरत कुमार है। वो सिर्फ 32 साल का था। भरत का परिवार कपकोट तहसील के बैड़ा-मझेड़ा गांव में रहता है।
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भरत दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करता था। लॉकडाउन लगा तो एक महीने पहले वो दिल्ली से गांव लौट आया। घर जाने से पहले वो 14 दिन क्वारेंटीन भी रहा। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक जब से भरत दिल्ली से लौटा था, तब से वो मायूस रहने लगा था।
परिजनों को इल्म था कि भरत परेशान है लेकिन वो खुदकुशी कर लेगा यह परिजनों ने सपने में भी नहीं सोचा था। सोमवार की सुबह भरत बिना कुछ कहे घर से कहीं चला गया।
बाद में उसकी लाश जंगल में एक चीड़ के पेड़ पर फंदे से लटकी मिली। पुलिस ने युवक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
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इस मामले में अभी तक पुलिस को किसी तरह की तहरीर नहीं मिली है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। आपको बता दें कि रविवार को कठपुड़ियाछीना के रैखोली गांव में रहने वाले प्रवासी भगवान सिंह रावत ने भी फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। कोविड-19 के चलते पैदा हुई स्थितियां लोगों को तनाव दे रही हैं। डॉक्टरों के मुताबिक जो लोग डिप्रेशन से जूझ रहे होते हैं वो इस बारे में किसी से बात नहीं करते और अकेला महसूस करते हुए जिंदगी से जंग हार जाते हैं। डिप्रेशन हावी होने पर लोग आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। इसलिए अगर आपके आसपास कोई अपना ऐसी किसी परिस्थिति से गुजर रहा है, तो विशेष रूप से सतर्क रहें। जरूरत पड़ने पर मेडिकल हेल्प लेने से ना झिझकें।