उत्तराखंड में नेपाल का ‘टेलीकॉम’ घुसपैठ, कई गांवों में फैला नेटवर्क..देश की सुरक्षा में सेंध!
बॉर्डर एरिया में बसे भारतीय लोगों द्वारा नेपाल के सिम कार्ड का इस्तेमाल करना देश की सुरक्षा के लिहाज से बड़ा खतरा है। इसके जरिए भारतीय सुरक्षा में आसानी से सेंध लगाई जा सकती है...
Jul 3 2020 12:45PM, Writer:कोमल नेगी
भारत-नेपाल सीमा से लगातार चिंता बढ़ाने वाली खबरें आ रही हैं। कुछ दिन पहले सीमा से सटे इलाकों में नेपाल के एफएम चैनल भारत विरोधी गाने बजा रहे थे। अब बता चला है कि पिथौरागढ़ के सीमावर्ती इलाकों में विदेशी सिमों का इस्तेमाल हो रहा है। नेपाली टेलीकॉम कंपनियां जिले के सीमांत इलाकों में तेजी से अपनी पैठ बढ़ा रही हैं। भारत के लिए ये शुभ संकेत नहीं है। यहां सीमा पर रहने वाले लोगों के हाथ में मोबाइल भारत का है, लेकिन उसमें इस्तेमाल होने वाला सिम नेपाल का है। इसकी वजह क्या है, ये भी बताते हैं। दरअसल सीमावर्ती क्षेत्रों में कोई भी भारतीय कंपनी बेहतर नेटवर्क सेवा देने में विफल रही है। यही वजह है कि लोग नेपाल के सिम का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस बारे में आगे कुछ जानकारियां हैं, जो हैरान करती हैं...आप भी पढ़िए
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड के 92 इलाकों को अनलॉक-2 में भी राहत नहीं, यहां रहेगा कंप्लीट लॉकडाउन
सीमावर्ती क्षेत्र के लोग भारतीय कंपनियों का नेटवर्क ना मिलने से परेशान हैं। इस मजबूरी का फायदा नेपाल की टेलीकॉम कंपनियां उठा रही हैं। कहने को भारत ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लिपुलेख तक सड़क पहुंचा दी है, लेकिन चीन और नेपाल सीमा से सटे इलाके अब भी संचार सेवाओं से महरूम हैं। जबकि बॉर्डर वाले इलाकों में संचार के मामले में पड़ोसी मुल्क नेपाल हमसे काफी आगे नजर आता है। बेहतर नेटवर्क के चक्कर में लोग नेपाली कंपनी के सिम खरीद रहे हैं, और इसी बहाने नेपाली टेलीकॉम कंपनियां भारत में घुसपैठ कर रही हैं। नेपाली सिम का इस्तेमाल करना गैर कानूनी है, लेकिन ना चाहते हुए भी लोगों को ऐसा करना पड़ रहा है।
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: दो बच्चों के पिता ने प्रेमिका के साथ की खुदकुशी..लाश देखकर बेसुध हुई पत्नी
बात करें धारचूला की तो चीन और नेपाल सीमा से सटा ये इलाका संचार सेवा के मामले में आज भी पिछड़ा हुआ है। 80 किलोमीटर के दायरे में किसी भी भारतीय टेलीकॉम कंपनी का नेटवर्क काम नहीं करता। नेपाली सिम का इस्तेमाल करने वाले लोग भी सिग्नल तलाशने के लिए लंबा पैदल सफर तय करते हैं। नेपाली सिम के इस्तेमाल के लिए आईएसडी दरों से भुगतान करना पड़ता है। नाभीढांग, नपलच्यू, गुंजी, नाबी और गर्ब्यांग तो संचार सेवा से पूरी तरह कटा है। बॉर्डर एरिया में बसे भारतीय लोगों द्वारा नेपाल के सिम कार्ड का इस्तेमाल करना भारत की सुरक्षा के लिहाज से बड़ा खतरा है। इसके जरिए भारतीय सुरक्षा में आसानी से सेंध लगाई जा सकती है। हालांकि इस मामले में डीएम विजय कुमार जोगदंडे का कहना है कि उन्होंने इन क्षेत्रों में सेवा दे रही टेलीकॉम कंपनियों से कहा है कि वो सीमावर्ती इलाकों में टॉवर लगाएं, ताकि लोग भारतीय संचार सेवा का फायदा उठा सकें।