उत्तराखंड की बेटी का संघर्ष सफल हुआ, अब सेना में परमानेंट कमीशन पा सकेंगी बेटियां
17 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार महिला अफसर भी सेना में परमानेंट कमीशन पा सकेंगी। भारतीय सेना महिला अफसरों को देशसेवा का मौका देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
Jul 25 2020 7:02PM, Writer:Komal Negi
अब भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को पुरुषों की बराबरी का हक मिलेगा। 17 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार महिला अफसर भी सेना में परमानेंट कमीशन पा सकेंगी। रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को इस संबंध में स्वीकृति पत्र जारी किया। भारतीय सेना अब महिला अफसरों को देशसेवा का मौका देने के लिए पूरी तरह तैयार है। आज हम सेना में भारतीय महिला अफसरों की जिस जीत की बात कर रहे हैं, उसका श्रेय काफी हद तक देहरादून की रहने वाली रिटायर विंग कमांडर अनुपमा जोशी को जाता है। जिन्होंने महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन दिलाने के लिए लंबा संघर्ष किया। वो विंग कमांडर अनुपमा जोशी ही थीं, जिन्होंने सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन के लिए सबसे पहले आवाज उठाई थी। उन्होंने महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन दिलाने के लिए लंबा संघर्ष किया। अधिकार की इस लड़ाई पर जीत की मुहर 17 फरवरी 2020 को लगी। फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का फैसला सुनाया था। आगे पढ़िए
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गुरुवार को केंद्र सरकार ने आखिरकार इसे लागू करने का आदेश जारी कर दिया। विंग कमांडर अनुपमा जोशी रिटायर हो चुकी हैं, ऐसे में भले ही वो स्थायी कमीशन का फायदा ना उठा सकें, लेकिन उनकी पहल से दूसरी महिला अफसर सेना में स्थायी कमीशन हासिल कर सकेंगी। विंग कमांडर अनुपमा जोशी ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया। अनुपमा जोशी देश की उन महिला ऑफिसर्स में शुमार हैं, जिन्होंने साल 1992 में भारतीय एयरफोर्स ज्वाइन की थी। वायुसेना में महिला अधिकारियों का यह पहला बैच था। अनुपमा स्थायी कमीशन चाहती थीं, पर उन्हें टुकड़ों में एक्सटेंशन मिलता रहा, जिससे वो परेशान हो गईं। इसके विरोध में उन्होंने साल 2002 में सीनियर अधिकारियों को लेटर लिखा, लेकिन जवाब नहीं मिला। साल 2006 में उन्होंने अन्य महिला अधिकारियों के साथ स्थायी कमीशन को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की। साल 2010 में कोर्ट के निर्देश पर एयर फोर्स में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का फैसला आया। जिसके बाद इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। 17 साल तक चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद गुरुवार को सेना के दस विभागों में महिलाओं के स्थायी कमीशन के आदेश जारी हो गए।