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रुद्रप्रयाग: बेघर राखी को मिला घर, कभी भूख से हुई थी बेटी की मौत..फरिश्ता बनकर आए ये लोग

जब चारों ओर से इस अभागी महिला का जीवन अंधेरे में चला गया था, उसी बीच उसके जीवन में रोशनी की किरण बनकर आया सामाजिक संगठन जन अधिकार मंच..
Aug 4 2020 6:39PM, Writer:कुलदीप राणा 'आज़ाद'

आज हम आपको एक ऐसी दलित महिला की दर्दभरी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसके जीवन में कष्ट और दुख के सिवाय कुछ नहीं था। उसके पास सिर छुपाने के लिए घर तक नहीं था, जो सिर छुपाने के लिए टूटी फूटी झोपडी थी उसमें न तो रसोई गैस थी न ही पानी का कनेक्शन बिजली तो बहुत दूर की बात थी। वर्षों पूर्व पति की असमायिक मौत उसके जीवन को और अंधेरे में धकेल दिया। दुःख तो मानों उसके सिर पर बादलों की तरह मंडरा रहे थे। सबसे बड़ा सदमा तो उसे तब लगा जब भोजन न मिलने के कारण उसकी 14 वर्ष की बेटी की असमय ही जान चली गई। जब चारों ओर से इस अभागी महिला का जीवन अंधेरे में चला गया था, उसी बीच उसके जीवन में रोशनी की किरण बनकर आया सामाजिक संगठन जन अधिकार मंच रुद्रप्रयाग।
समाज के भीतर आज भी ऐसे लोग हैं, जो उपेक्षित वर्ग के लिए पूरी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से कार्य कर रहे हैं। रूद्रप्रयाग में राज और समाज ने मानवता की एक ऐसी ही मिसाल पेश की है जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है। जखोली विकासखण्ड के बुढ़ना गाँव की बेघर, गरीब दीनहीन राखी देवी को सामाजिक संगठन जन अधिकार मंच ने रक्षा बंधन के पवित्र त्योहार पर आशियाना बनाकर दिया है। मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी और उनकी पूरी टीम ने मकान बनाने में पूरे एक साल तक अभियान चलाया।

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दरअसल एक वर्ष पूर्व सोशल मीडिया के माध्यम से जन अधिकार मंच के संज्ञान में मामला आया था कि बुढ़ना गाँव की राखी देवी भारी गरीबी और लाचारी में जिंदगी जीने को मजबूर है। घर न होने के कारण किसी तरह झोपड़ी में अपना और बच्चों का सिर छुपा रही है।
जिस झोपड़ी में वह रह रही थी वहां न रसोई गैस का कनेक्शन था और न ही पानी की व्यवस्था। बिजली की रोशनी तो उसके लिए किसी सपने से कम नहीं थी। वर्षों पूर्व पति की मौत के बाद तीन बच्चों की लालन पालन की जिम्मेदारी ने उसे और तोड़ दिया। घोर गरीबी और अभावों में जी रही राखी देवी को तब और अधिक सदमा लगा जब भूख के कारण उसकी 14 वर्षीय बेटी ने असमय ही दम तोड़ दिया। जबकि वह खुद भी एनिमिया बीमारी से ग्रस्त हो गई। सामाजिक संगठन जन अधिकार मंच ने इस मामले को प्रमुखता के साथ उठाया और उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हुए महिला को बिजली और रसोई गैस कनेक्शन दिलाया। इसके बाद उसके परिवार के लिए मकान बनाने की मुहिम शुरू हुई। तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने मकान बनाने के लिए आपदा मद में करीब एक लाख रुपए स्वीकृत किए और मकान बनाने की जिम्मेदारी मंच को सौंपी। जिसके बाद रुद्रप्रयाग व्यापार संभा ने आर्थिक सहयोग देते हुए 56 हजार रुपए की धनराशि दी। अन्य लोगों ने भी मकान बनाने के लिए आर्थिक सहयोग दिया। इस तरह चार लाख रुपए की धनराशि से मकान बनकर तैयार हुआ, जिसे रक्षाबंधन के अवसर पर अपर जिलाधिकारी रामजी शरण शर्मा और मंच ने राखी देवी को मकान की चाबी सौंपी।

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खुद का आशियाना पाकर राखी देवी के चेहरे पर जहाँ खुशी झलक रही थी वहीं मंच का धन्यवाद करते हुए वह भावुक भी हो गई। जिसके लिए घर बनाना एक सपने से कम नहीं था, उसके पास आज अपना घर है। जन अधिकार मंच को न केवल वह एक संगठन मात्र देख रही थी बल्कि मंच को खुद के लिए मसीहा और अभिभावक मान रही थी। प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में सामाजिक संगठनों की भरमार है जो मात्र गरीबों के कल्याण के नाम पर सरकारी योजनाओं के वारे-न्यारे कर रहे हैं, लेकिन सामाजिक संगठन जन अधिकार मंच ने खुद के बूते समाज से चंदा लेकर जो पुनीत कार्य किया है वास्तव में तारीफ के काबिल है और इस संगठन की विश्वसनीयता भी बढ़ी है। जरूरत है राज और समाज को इसी तरह की अनुकरणीय और सार्थक उदाहरण पेश करने की।
जन अधिकार मंच के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने इसमें सभी लोगों के योगदान को प्रशंसनीय बताया और विश्वास दिलाया कि मंच इसी प्रकार सामाजिक उद्देश्यों के लिए कार्य करता रहेगा।
मंच के संरक्षक रमेश पहाड़ी ने बताया कि सामाजिक कार्यकर्ता रामरतन पंवार के सोशल मीडिया पर डाली गई राखी देवी के दारुण दुःख की पोस्ट का संज्ञान लेते हुए जन अधिकार मंच ने तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल जी से मदद मांगी। उन्होंने तुरन्त रु. करीब एक लाख रुपए की सहायता जारी की और इस सम्बंध में उनसे वार्ता करने गए मंच के पदाधिकारियों को कहा कि वे समाज से भी आर्थिक सहयोग लेकर इसका निर्माण करने में सहयोग करें।


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