सवाल इतना सा है जब फर्जी सर्टिफिकेट होने पर आपको नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता है या आवेदन नहीं करने दिया जाता। तो फिर फर्जी सर्टिफिकेटों की सहायता से कैसे कोई करोड़ों के काम पा लेता है?
Aug 8 2020 9:11PM, Writer:इंद्रजीत सिंह असवाल
गढ़वाल में भी गजब ही हो रहा है। कौन कहता है भ्रष्टाचार पहाड़ में नहीं है। भ्रष्टाचार की मार से पहाड़ भी अछूता नहीं रहा। लेकिन शर्म तब आती है, जब जिम्मेदार लोग ही इस फर्जीवाड़े की आग को सुलगाते हैं। चलिए जरा इस किस्से को गैर से समझने की कोशिश करते हैं। पौड़ी गढ़वाल के कल्जीखाल ब्लॉक की प्रमुख बीना राणा बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ी और ब्लॉक प्रमुख बनीं। उनके ही पति महेन्द्र सिंह राणा द्वारीखाल ब्लॉक से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और ब्लॉक प्रमुख बन गए। यहां से शुरू हो गया फर्जीवाड़े का खेल। फर्जी दस्तावेजों के सहारे करोड़ों के काम लेने के आरोपों के सिलसिले में इस बार महेंद्रराणा और उनकी पत्नी पर आरोप है कि उन्होंने सेंट्रल पीडब्ल्यूडी के फर्जी सर्टिफिकेटों की सहायता से राज्य पीडब्ल्यूडी विभाग में करोड़ों के काम ले लिए हैं। आगे पढ़िए
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RTI के तहत मिली बड़ी जानकारी
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आपको यहां एक बड़ी जानकारी ये भी दे दें कि महेन्द्र सिंह राणा की पत्नी बीना राणा जो केबीएम कंस्ट्रक्शन कंपनी की निदेशक भी हैं। सूचना के अधिकार के तहत ये पूरी जानकारी सेंट्रल पीडब्ल्यूडी ने की है। महेंद्र राणा स्वयं कांग्रेस से ब्लाॅक प्रमुख तथा पत्नी को भाजपा से ब्लाॅक प्रमुख बनाकर आश्वस्त हैं। दरअसल ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें लगता है कि कि कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उन्हें ये भी लगता है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों उनके हाथों की कठपुतली हैं।
नियम कायदों की कोई फिक्र नहीं
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इस बीच सबसे खास बात ये है कि ब्लॉक प्रमुख बीना राणा उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 का उल्लंघन करती भी दिख रही हैं। जी हां गौर कीजिएगा कि उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 69 का उल्लंघन कर रही हैं ब्लॉक प्रमुख बीना राणा।
सीएम से कार्रवाई की मागं
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ये बात एडवोकेट महेंद्र सिंह असवाल ने बताई है। इस संबंध एडवोकेट महेन्द्र असवाल ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को कार्यवाही करने के लिए पत्र लिखा है। मिली जानकारी के अनुसार कल्जीखाल ब्लाक प्रमुख श्रीमती बीना राणा उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 69 के अनुसार लोक सेवक हैं और साथ ही वो केवीएम कन्ट्रक्शन कम्पनी की इकलौती मालकिन हैं।
ब्लॉक प्रमुख से ऐसी उम्मीद न थी
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लोकसेवक होते हुए विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से व्यापार व ठेकेदारी का काम कर रही हैं। बीना राणा का लोक निर्माण विभाग उत्तराखंड के अंतर्गत मार्ग कार्यो हेतु ठेकेदारों की सूची श्रेणी A में पंजीकृत किया गया था। अब जरा सोचिए कि जनप्रतिनिधि ठेकेदार बन गए, तो कैसे होगा गढ़वाल का विकास?