उत्तराखंड में दिल्ली जैसा करिश्मा दोहराने को तैयार AAP, हर विधानसभा सीट के लिए प्लान तैयार
दिल्ली में तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतने वाली आम आदमी पार्टी उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में ताल ठोकने का दावा कर रही है, लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है।
Aug 13 2020 1:03PM, Writer:Komal Negi
दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी अब उत्तराखंड में तीसरा सियासी विकल्प बनने की तैयारी में है। साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने आधार बनाना शुरू कर दिया है। प्रदेश में आप एक्टिव मोड में दिख रही है। आम आदमी पार्टी को पूरी उम्मीद है कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में वो उत्तराखंड में भी दिल्ली जैसा करिश्मा दोहराने में कामयाब होगी। फिलहाल तो ये सिर्फ एक सपना है, जिसे हकीकत में बदलने के लिए आप के रणनीतिकार पहाड़ के हर क्षेत्र में पहुंच बनाने में जुटे हैं। कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक के रास्ते नाप रहें हैं। विधानसभा क्षेत्रों के लिए प्रभारी और सह प्रभारियों की नियुक्ति की जा रही है। हालांकि आप के लिए पहाड़ चढ़ पाना इतना आसान भी नहीं है।
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जब उत्तराखंड क्रांति दल जैसी क्षेत्रीय सरोकारों से जुड़ी पार्टी कई साल बाद भी उत्तराखंड में पैर नहीं जमा पाई, तो AAP के लिए यहां पैठ बना पाना कैसे संभव होगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के नेटवर्क को मजबूत करने की जिम्मेदारी दिल्ली के विधायक दिनेश मोहनिया को सौंपी गई है। वो आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड प्रभारी बनाए गए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में आप ने अपने पैर पीछे खींच लिए थे, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने में जुटी है। आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड प्रभारी दिनेश मोहनिया कहते हैं, पिछली बार की परिस्थितियां भिन्न थी। अब पूरी तैयारी कर रहे हैं। सभी विधानसभा क्षेत्रों में कार्यालय खोल रहे हैं। हर विधानसभा में दो-दो प्रभारी बना दिए गए हैं। बूथ स्तर पर काम चल रहा है। आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं का एक ऐसा नेटवर्क बनाने की सोच रही है, जिसके जरिये वह प्रत्येक वोटर तक पहुंचे और उनसे बातचीत कर स्थानीय जरूरतों के हिसाब से घोषणापत्र बनाए।
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दिल्ली में तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतने वाली आम आदमी पार्टी उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में ताल ठोकने का दावा कर रही है, लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है। आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में दो चुनाव लड़ चुकी है, लेकिन सफलता अब तक नहीं मिली। दिल्ली और उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति में भी बहुत अंतर है। उत्तराखंड की सियासत बीजेपी और कांग्रेस के इर्द-गिर्द घूमती है। पिछले विधानसभा चुनाव में कुल पड़े वोटों में से बीजेपी को 46.51 प्रतिशत वोट मिले, जबकि 33.49 प्रतिशत वोट कांग्रेस को मिले। बाकी दलों के हिस्से में सिर्फ 20 फीसदी वोट आए। इसमें से भी 10 फीसदी वोट निर्दलीयों के हिस्से में गए। दिल्ली में लोगों के बीच पहुंचना आसान है, लेकिन उत्तराखंड में पहाड़ की चढ़ाई चढ़ना मुश्किल। ऐसे में यहां आप के सामने कई चुनौतियां होंगी। बहरहाल इन चुनौतियों से आम आदमी पार्टी कैसे निपटती है, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।