image: Uttarakhand Shaheed Bishan Singh Galwan Valley

उत्तराखंड शहीद बिशन सिंह..31 अगस्त को होना था रिटायर, नया घर बनाने की थी तैयारी

शहीद हवलदार बिशन सिंह 31 अगस्त को सेवानिवृत्त होने वाले थे मगर रिटायरमेंट से ठीक 17 दिन पहले किस्मत ने उनको हमेशा-हमेशा के लिए सुला दिया। शहीद बिशन सिंह ने हल्द्वानी में अपना मकान बनाने का सपना देखा था जो अब अधूरा ही रह गया है-
Aug 17 2020 11:59AM, Writer:Komal Negi

बीता स्वतंत्रता दिवस उत्तराखंड राज्य के लिए बेहद दुखदायी साबित हुआ। आजादी के जश्न के बीच एक ऐसी खबर आई जिसने हम सब की आंखें नम कर दीं। लेह की गलवां घाटी में चीन सैनिकों से हुई झड़प में उत्तराखंड के जवान हवलदार बिशन सिंह शहीद हो गए और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। वे मूल रूप से पिथौरागढ़ के मुनस्यारी क्षेत्र के रहने वाले थे। 43 वर्षीय बिशन सिंह लद्दाख में तैनात थे, जहां पर चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में घायल हो गए थे। घायल बिशन सिंह को इलाज के लिए लेह के मिलिट्री हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था, जहां वह तकरीबन 8 दिन तक भर्ती रहे थे। स्वस्थ हो जाने के बाद उनको डिस्चार्ज कर दिया गया और उन्होंने दोबारा ड्यूटी ज्वाइन कर ली मगर गलवां घाटी में पहुंचने के बाद उनकी हालत एक बार फिर से बिगड़ गई। जिसके बाद उनको इलाज के लिए चंडीगढ़ हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जहां उपचार के दौरान जवान ने अपना दम तोड़ दिया।

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हवलदार बिशन सिंह आने वाली 31 अगस्त को सेवानिवृत्त होने वाले थे, मगर किस्मत को शायद यह मंजूर नहीं था। उनके बीवी और बच्चे जो उनके साथ जी भर कर समय व्यतीत करने के सपने संजो रहे थे वह एक ही झटके में टूट गए हैं। उनकी रिटायरमेंट से ठीक 17 दिन पहले किस्मत ने उनको हमेशा-हमेशा के लिए सुला दिया और उनके परिवार के ऊपर दुख का ऐसा प्रहार हुआ है जिससे वह शायद ही कभी उबर पाएंगे। शहीद बिशन सिंह ने हल्द्वानी में मकान बनाने का सपना देखा था, जिसको लेकर वह कई बार अपने परिजनों से बात भी कर चुके थे। उनके परिजनों का कहना था कि वे रिटायरमेंट के बाद हल्द्वानी में घर बनाएंगे। मूल रूप से पिथौरागढ़ की बंगापानी तहसील के निवासी बिशन सिंह का परिवार 2018 में हल्द्वानी आ गया था। उनके छोटे भाई जगत सिंह भी फौज से रिटायर होने के बाद दिल्ली के जिओ कंपनी में नौकरी कर रहे हैं।

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शहीद बिशन सिंह का परिवार हल्द्वानी के किराए के मकान में रहता है। वह अपने पीछे अपने दो बच्चे और अपनी पत्नी सती को छोड़ कर चले गए हैं। उनके छोटे भाई जगत के मुताबिक उनका यह सपना था कि वह जल्दी हल्द्वानी में अपने परिवार के लिए मकान बनाएंगे और सभी वहां पर हंसी-खुशी जिंदगी बिताएंगे। मात्र 17 ही दिन में उनका कार्यकाल पूरा होने वाला था, मगर किसी ने सपने में भी यही यह नहीं सोचा था कि अपनी ड्यूटी के अंतिम दिनों में उनके साथ किस्मत इस तरह की बदसलूकी कर जाएगी। उनका हमेशा से यही मानना था कि उनके बच्चे बेहतर पढ़ाई करें। उनको अपने परिवार के भविष्य की बेहद चिंता भी थी और इस वजह से वह काफी चिंतित रहते थे। उनके कई सपने थे जो अपने परिवार के साथ संजोकर रखे थे मगर वह सभी सपने चकनाचूर हो चुके हैं और अब वह हमेशा-हमेशा के लिए अपने परिजनों को बिलखता छोड़ कर चले गए हैं। शहीद बिशन सिंह का परिवार इस क्षति से उबरने का प्रयास कर रहा है मगर उनकी 16 साल की बेटी और 19 साल के बेटे के के आंसू थम नहीं रहे हैं, जिनके ऊपर से पिता का साया हमेशा-हमेशा के लिए उठ चुका है।


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