image: Block chief husband and wife forgery in Pauri Garhwal

गढ़वाल में सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा..कांग्रेस-बीजेपी की छत्रछाया में पति-पत्नी का खेल देखिए

पतिदेव है कांग्रेस के ब्लॉक प्रमुख पत्नी है भाजपा ब्लॉक प्रमुख, पक्ष विपक्ष दोनों झोली में कौन क्या बिगाड़ सकता है...
Aug 20 2020 5:17PM, Writer:इन्द्रजीत असवाल

पौड़ी: जब सत्ता साथ में हो तो बड़े से बड़ा फर्जीवाड़ा किया जा सकता है ये हम बिना प्रमाण के नही कह रहे हैं आपको हमने विगत दिनों पहले एक ब्लॉक प्रमुख की फर्जी कम्पनी न्यूज़ दिखा चुके हैं जिसमे मेन पॉइंट नही खोले गए थे। आज पौड़ी बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक व समाजसेवी नमन चन्दोला ने हमें वो सारे फर्जीवाड़े के दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं जिनसे ये फर्जीवाड़ा सत्य साबित होता है जिस फर्जीवाड़े की हम बात कर रहै है वो उत्तराखंड के इतिहास का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा है।
हर पॉइंट को हम आपके आगे रख रहे हैं
शुरुआत कंपनी की स्थापना से करें तो कंपनी बनती 2008 में है, लेकिन इसकी बैलेंस शीट 2002 से मैंटेन हो रही हैं।
कंपनी के रजिस्ट्रेशन के दो माह से पहले कंपनी ए क्लास में रजिस्टर्ड हो जाती है यहां आपको यह बता दें कि ए क्लास में रजिस्ट्रेशन से पहले आपके पास 10-10 लाख के 5 कामों का अनुभव होना बहुत जरूरी है तो ब्लॉक प्रमुख बीना राणा ने उस अनुभव का भी जुगाड लगा दिया। आगे पढ़िए

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खुद के नाम से आवंटित 1 से 1.5 लाख के काम जिससे रोड की सफाई झाड़ी काटना आदि शामिल था उसको 10-20 लाख के कामों में परिवर्तित कर दिया।
यही नहीं दिल्ली से सीपीडब्ल्यूडी के फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र भी लगा लिए।
और इसके कुछ ही समय के बाद एमडीडीए में इन्ही फर्जी सर्टिफिकेटों से 6.5 करोड़ के काम ले लिए।
इसके बाद पीएमजीएसवाई में भी फर्जी दस्तावेजों से काम लिया है जिसकी जानकारी हम आपको देंगे
जब इन सभी सर्टिफिकेटों की जांच हुई है तो पता चला ये भी फर्जी हैं! व इसके बाद पीडब्ल्यूडी के भी लगभग 5 करोड़ से ज्यादा के काम ले लिए।
एमडीडीए और पीडब्ल्यूडी में फर्जी सर्टिफिकेटों की सहायता से करोड़ों का काम ले लिया।
अब आप बताइए ऐसा कौन सा सिस्टम है जिसमें पैनकार्ड बनाने के 23 दिन के अंदर कंपनी ए ग्रेड में रजिस्टर्ड हो जाती है?
आपको यह भी बता दें केबीएम कंस्ट्रक्शन कंपनी एक प्राइवेट पार्टी है इसका अभी तक फर्म के नाम से रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। आगे पढ़िए

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जब कंपनी खुलती हैं तो उस समय आपको 10 लाख की इंशोलवेंसी भी दिखानी होती है 2008 में बिना कुछ किए यह कैसे हासिल किया आप समझ जाइए?
बड़ी बात यह है जब द्वारीखाल ब्लॉक प्रमुख महेंद्र राणा की पत्नी कल्जीखाल ब्लॉक प्रमुख बीना राणा रहती देहरादून में है तो चरित्र प्रमाण पत्र 2008 में पौड़ी का कैसे बना जबकि कंपनी का पता देहरादून के नाम पर है।
और हां ब्लॉक प्रमुख महेंद्र राणा कंपनी में प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर के तौर पर है यह बात सत्य है।
पैन कार्ड 15/06/2008 को बना है और ओडिट रिपोर्ट में जो 31 मार्च 2008 की है उसमें इसी पैन कार्ड का नंबर चढ़ा है।
आप सोच रहे होंगे ऐसा कैसे हो गया तो महोदय ने पैनकार्ड को क्राप कर डेट वाली साइट हाइड करके दस्तावेज लगा दिए हैं। अब आप समझ लिजिए कैसा आडिट रिपोर्ट है वो?
समाजसेवी नमन चन्दोला ने आम जन से अपील की है कि आप सच्चाई की लड़ाई में साथ दीजिए और प्रशासन से अनुरोध किया है कि इस मामले में तुरन्त एक्शन लेने का कष्ट करे। उनका कहना है कि आगे अभी बहुत कुछ बाकी है। उनका पौड़ी एसएशपी से अनुरोध है कि महेंद्र राणा ने जो शिकायत की है मेरे खिलाफ अब वो अपनी बात से मुकर भी नहीं सकता कृपया आप निश्पक्ष कार्यवाही सुनिश्चित कीजिए।


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