उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में किसका खेल बिगाड़ेगी AAP? अंदरखाने टेंशन ही टेंशन
आम आदमी पार्टी ने प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इस ऐलान को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन भीतरखाने दोनों ही पार्टियों में बेचैनी साफ नजर आ रही है।
Aug 24 2020 3:44PM, Writer:Komal Negi
दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी की निगाहें अब उत्तराखंड पर हैं। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल प्रदेश की सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। साल की शुरुआत से ही प्रदेश में आप हर मोर्चे पर अपनी पैठ बनाने में जुटी नजर आई। लोगों का मन जानने के लिए आप ने उत्तराखंड में सर्वे भी कराया था। आप का दावा है कि प्रदेश के 62 फीसदी लोग चाहते हैं कि आप उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में अपने कैंडिडेट उतारे। आम आदमी पार्टी के इस ऐलान को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन भीतरखाने दोनों ही पार्टियों में बेचैनी साफ नजर आ रही है। कांग्रेस की चिंता बढ़ना इसलिए स्वाभाविक है, क्योंकि पार्टी इस वक्त वजूद के संकट से जूझ रही है। आगे पढ़िए
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पार्टी के अंदरूनी मतभेद के चलते पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई थी। पंचायत और निकाय चुनाव में भी कांग्रेस को बीजेपी से मुंह की खानी पड़ी। कांग्रेस के कई बड़े चेहरे अब बीजेपी का हिस्सा हैं। कभी सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस अब सिर्फ 11 सीटों तक सिमट गई है। वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी के भीतर भी असंतोष की सुगबुगाहट हो रही है। बताया जा रहा है कि कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक को ज्यादा तवज्जो मिलने से हरिद्वार के कई विधायक नाराज हैं। कुछ विधायकों के विवाद और बड़बोलेपन ने भी बीजेपी और सरकार की चिंता बढ़ाई है। ऐसा ही चलता रहा तो साल 2022 के चुनाव में बीजेपी को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इन समीकरणों के बीच आम आदमी पार्टी की धमक से प्रदेश में नए सियासी समीकरण बन सकते हैं।
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उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी का अब तक का सफर कैसा रहा, ये भी जान लें। साल 2014 में आप ने लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी पांचों सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन निराशा हाथ लगी। अब आम आदमी पार्टी ने साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मुद्दे पर सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। आप की रणनीति खुद को राज्य में कांग्रेस की जगह दूसरी सबसे बड़ी सियासी ताकत के रूप में पेश करने की हो सकती है। कहा तो ये भी जा रहा है कि अपनी पार्टियों में हाशिए पर धकेल दिए गए कुछ बड़े चेहरे आम आदमी पार्टी का दामन थाम सकते हैं। बहरहाल आम आदमी पार्टी की मौजूदगी किसका समीकरण बिगाड़ेगी, इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें थोड़ा इंतजार करना होगा।