उत्तराखंड में दिखा वो दुर्लभ जीव, जो भारत में 50 साल पहले देखा गया था
उत्तराखंड राज्य में अलग-अलग जिलों से चमगादड़ की 9 प्रजातियां मिली हैं। इनमें से एक चमगादड़ भारत में आजतक नहीं देखा गया है।
Aug 31 2020 12:54PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ अपने जैव विविधता के लिए भी काफी मशहूर है। राज्य में बीते कई सालों में कई जानवरों की दुर्लभ प्रजातियों की तस्वीरें सामने आई हैं। हाल ही में उत्तराखंड राज्य में अलग-अलग प्रजातियों के 9 चमगादड़ पाए गए हैं। जिनमें से दो ऐसी प्रजाति हैं जो काफी दुर्लभ हैं। जी हां, चीन सहित विश्व के कुछ ही देशों में पाए जाने वाला दुर्लभ चमगादड़ लॉन्ग टेल्ड बैट ( long tailed bat) भारत में पहली बार उत्तराखंड के केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी क्षेत्र में देखा गया है। इससे पहले भारत में इस प्रजाति का चमगादड़ नहीं देखा गया है। इसी के अलावा रुद्रप्रयाग जिले के चोपता में सोंबर बैट भी मिला है। बता दें कि यह दुर्लभ चमगादड़ आखिरी बार 1970 में दार्जिलिंग में देखा गया था। 50 वर्षों के बाद उत्तराखंड में सोंबर बैट देखने को मिला है। चमगादड़ों की आवाज और डीएनए सैंपल मैच करने के बाद इस बड़ी खबर की पुष्टि हुई है। आगे पढ़िए
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यह वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर है। उत्तराखंड के पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था नेचर साइंस इनीशिएटिव के सर्वे में चमगादड़ों की यह नई और अनोखी दुर्लभ प्रजातियां मिली हैं। इसके अलावा चमगादड़ की 7 और अनोखी प्रजातियां भी राज्य में पहली बार पाई गई हैं। इसका मतलब है कि चमगादड़ों की यह प्रजातियां आज से पहले राज्य में कभी नहीं देखी गईं। उनका राज्य में देखा जाना जैव विविधता प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर है। संस्था नेचर साइंस इनीशिएटिव से जुड़े और जर्मनी के लिनबिज इंस्टिट्यूट में चमगादड़ों के ऊपर रिसर्च करने वाले रोहित चक्रवर्ती ने बताया कि पिछले कुछ सालों में हुए सभी शोधों के डाटा को मिलाने के बाद यह सामने आया है कि लॉन्ग टेल्ड विस्कर्ड बैट भारत में पहली बार उत्तराखंड में देखा गया है। इससे पहले यह चीन और जापान सहित कुछ देशों में पाया गया था।
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वहीं रुद्रप्रयाग जिले के चोपता में सोमवार को सोंबर बैट देखा गया जो कि आखिरी बार 1970 में दार्जिलिंग में देखा गया था। इसके अलावा चमगादड़ की 7 अन्य प्रजातियां भी राज्य में पहली बार मिली हैं। इसके बाद अब उत्तराखंड में चमगादड़ों की कुल संख्या 40 से बढ़कर 49 हो गई है। शोधकर्ता रोहित ने बताया इन सभी चमगादड़ों के डीएनए और आवाज के नमूने लिए गए जिनको टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स एंड सोसाइटी और आईआईटी बैंगलोर में अलग-अलग जांचों के तहत भेजा गया। इसके बाद अंतिम जांच का नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम जेनेवा स्विट्जरलैंड के रिकॉर्ड से मिलान किया गया। उनके पास दुनिया के लगभग सभी चमगादड़ों का रिकॉर्ड है। बता दें कि राज्य में चमगादड़ों का यह सर्वे देहरादून के बंजारावाला, मालदेवता, टिहरी के देवलसारी, धनौल्टी नैनीताल के पंगोट, चमोली के केदारनाथ वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट, मंडल और चोपता में सर्वे किया गया, जहां पर उनको पकड़ कर उनका सैंपल लिया गया और उन्हें वहीं पर छोड़ दिया गया।